उत्पादन प्रभावित होने से गहरा सकता है बिजली संकट
अभी ओर बढ़ेगी बिजली की डिमांड..भरपाई के लिए टैरिफ बढ़ाने की मांग
उज्जैन। आगामी दिनों के भीतर शहर में बिजली संकट गहरा सकता है। बिजली कंपनी के अधिकारियों की यदि माने तो ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि ताप विद्युत केन्द्रों की यूनिट में उत्पादन ठप होने से गर्मी में बिजली की मांग बढ़ जाती है और ऐसी स्थिति में उत्पादन प्रभावित होने से बिजली संकट भी गहरा सकता है।
कंपनी के अफसरों के मुताबिक अभी प्रदेश की बिजली की डिमांड 12 से 13 हजार मेगावॉट के बीच चल रही है। यह डिमांड अभी और बढ़ेगी। इस तरह की बिजली उत्पादन प्रभावित होने पर बिजली कंपनियां घाटे में चली जाती हैं, फिर इसकी भरपाई के लिए कंपनियां हर साल टैरिफ बढ़ाने की मांग करती हैं। जिसका खामियाजा बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है।
कहां क्या हुआ…और कितना नुकसान ….
बिजली कंपनी से प्राप्त जानकारी के अनुसार संजय गांधी ताप विद्युत गृह की 500 मेगावॉट की एक यूनिट पिछले महीने 25 से 27 अप्रैल के बीच बंद हुई थी। यह यूनिट बॉयलर ट्यूब में लीकेज के कारण बंद हो गई थी। इससे पॉवर जनरेशन कंपनी को करीब 5 करोड़ का नुकसान हुआ था। हाल ही में एक यूनिट 30 घंटे तक बंद रहीं। इस यूनिट के बंद होने से भी कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ है। इस तरह से जनरेशन कंपनी को नुकसान हो रहा है। सिंगाजी ताप विद्युत गृह की वित्तीय वर्ष 2023-24 की परफॉरमेंस रिपोर्ट के मुताबिक जनरेशन कंपनी को 642 करोड़ का नुकसान हुआ है। ताप विद्युत गृह ने ज्यादा कोयला जलाकर कम बिजली बनाई है। इसके अलावा विद्युत गृह ने पूरी क्षमता से बिजली का उत्पादन भी नहीं किया। इस वजह से नुकसान हुआ है। इसकी जांच की गई थी।
ताप केन्द्रों की उखड़ रही सांसे
बिजली कंपनी के सूत्रों ने बताया कि प्रदेश सहित उज्जैन में भी गर्मी के इस मौसम के दौरान बिजली की मांग और खपत दोनों ही बढ़ गई है और ऐसे में उत्पादन पर भी जोर दिया जा रहा है
बावजूद इसके जिन ताप बिजली संयंत्र उत्पादन केन्द्रों पर बिजली उत्पादन
का भार है उन केन्द्रों में उत्पादन का भार सहन नहीं किया जा रहा है और उनकी सांसे उखड़ रही है। बिजली कंपनी के अफसरों की यदि माने तो ताप बिजली केन्द्रों की इकाइयों में खराबी आ रही है और इस कारण उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। यही कारण है कि बिजली कटौती की कोई सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है।
बावजूद इसके जिन ताप बिजली संयंत्र उत्पादन केन्द्रों पर बिजली उत्पादन
का भार है उन केन्द्रों में उत्पादन का भार सहन नहीं किया जा रहा है और उनकी सांसे उखड़ रही है। बिजली कंपनी के अफसरों की यदि माने तो ताप बिजली केन्द्रों की इकाइयों में खराबी आ रही है और इस कारण उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। यही कारण है कि बिजली कटौती की कोई सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है।