इलाज का खर्च पांच लाख बताकर बना दिया 21 लाख का अंतिम बिल
कलेक्टर के हस्तक्षेप से 13 लाख रुपये छोड़े, मेदांता अस्पताल भी कर रहा था लूटने की कोशिश
इंदौर। शहर के एक निजी अस्पताल द्वारा इलाज का खर्च पांच लाख रुपये बताकर अंतिम बिल 21 लाख रुपये से अधिक बनाने का मामला सामने आया है। इसमें परिजनों का आरोप है कि मेदांता अस्पताल में पैसे नहीं देने पर 76 वर्षीय बुजुर्ग को बंधक बना लिया गया था।
हालांकि, बाद में कलेक्टर के हस्तक्षेप से 13 लाख रुपये मरीज के माफ कर दिए गए। परिजनों के मुताबिक अनिल कुमार सोनी की बायपास सर्जरी करने के लिए पांच लाख रुपये का इस्टीमेट बनाया था, लेकिन डिस्चार्ज की बारी आई तो हमें 21.53 लाख रुपये का बिल दे दिया। इसके बाद से ही बुजुर्ग की बेटी लोगों से मदद मांग रही थी।
परिजनों ने लगाया 76 वर्षीय मरीज को अस्पताल में बंधक बनाने का आरोप
मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मरीज को 18 मार्च को भर्ती करवाया गया था। उन्हें लंबे समय तक वेंटिलेटर सपोर्ट और आईसीयू में रहना पड़ा, साथ ही कई दिनों तक हाई एंटीबायोटिक दवाओं के साथ-साथ गहन देखभाल की भी आवश्यकता थी। सर्जरी के तीन हफ्ते बाद जब वह ठीक हो रहे थे और ट्रेकिओस्टामी से सांस ले रहे थे, उन्हें गंभीर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग हो गई।
ब्लड ट्रांसफ्यूजन और एम्बोलाइजेशन की मदद से उनका फिर उपचार किया गया। इसलिए उन्हें 62 दिनों तक अस्पताल में रखा गया। इस दौरान हर दिन होने वाले खर्च के बारे में मरीज को स्पष्ट जानकारी दी गई थी। मरीज द्वारा केवल छह लाख 52 हजार रुपये का भुगतान किया गया था।
सीएम फंड की राशि और 13 लाख 36 हजार 854 रुपये के बकाया लिए बिना उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था। बताया जा रहा है कि मामले की जानकारी कलेक्टर आशिष सिंह को लगी तो उनके हस्तक्षेप के बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया।