मप्र में नर्सिंग कालेज घोटाला–पहली बार एक साथ धरे गए 4 घूसखोर सीबीआई अधिकारी
सीबीआई दिल्ली को इंदौर, रतलाम , भोपाल से 10 से 16 लाख रुपए की रिश्वत का चला था पता, तभी से पीछे लग गई थी टीम
भोपाल। मध्य प्रदेश में नर्सिंग कालेजों में घोटाले की जांच करने वाले सीबीआई अधिकारी ही रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। नर्सिंग कालेज संचालकों, जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी और अन्य लोगों की फोन पर बातचीत ही कार्रवाई का आधार बनी। संभवतः ऐसा पहली बार हुआ है जब घूसखोरी में जांच टीम सीबीआई के चार अधिकारी एक साथ रंगेहाथ धरे गए हैं। सीबीआई दिल्ली की टीम लगभग एक माह पहले से सभी पर नजर रखी हुई थी।
संदेह था कि कुछ नर्सिंग कालेज संचालक अपने सुरक्षाकर्मियों और ड्राइवरों के माध्यम से लेनदेन की बात जांचकर्ता सीबीआई अधिकारी और दलालों से कर रहे थे। सीबीआई ने इस मामले में सभी 23 आरोपियों के नाम सार्वजनिक किए हैं।
इनमें नर्सिंग कालेजों की जांच कर रहे सीबीआई के डीएसपी आशीष प्रसाद, भोपाल में गिरफ्तार किए गए निरीक्षक राहुल राज, मध्य प्रदेश पुलिस से सीबीआई में अटैच सुशील कुमार मजोका और ऋषि कांत असाटी भी शामिल हैं। जांच एजेंसी इन अधिकारियों द्वारा पहले की गई अन्य जांचों की फाइल भी खोल सकती है। इनमें व्यापम फर्जीवाड़े से जुड़े कुछ मामले भी शामिल हैं।
दो से 10 लाख तक की रिश्वत लेने की थी सूचना
सीबीआई की एफआईआर के अनुसार सूत्रों के हवाले से सूचना मिली थी कि जांच अधिकारी नर्सिंग कालेजों की जांच रिपोर्ट उपयुक्त देने के लिए रिश्वत लेते हैं। अलग-अलग नर्सिंग कालेजों से विद्यार्थियों की क्षमता के अनुसार दो लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक रिश्वत लेने की सूचना मिली थी। यह भी पता चला था कि सीबीआई को सहयोग के लिए राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए कर्मचारियों को भी रिश्वत का 25 हजार रुपये से 50 हजार रुपये तक हिस्सा मिलता था।
स्थानीय स्तर पर निरीक्षण के दौरान सीबीआई टीम को सहयोग के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले पटवारी को भी पांच हजार रुपये से लेकर 20 हजार रुपये तक हिस्सा मिलता था। यह राशि निरीक्षण के दूसरे दिन दलाल द्वारा बांटी जाती थी।
सीबीआई दिल्ली को इंदौर, रतलाम,भोपाल सहित अन्य स्थानों पर 10 लाख रुपये से 16 लाख रुपये तक रिश्वत लेने-देने के कई मामलों का इसी माह पता चला था। रिश्वत के पैसे से 400 ग्राम सोना खरीदने की जानकारी भी मिली थी।