ओलावृष्टि से खराब फसलें देख किसान फिर खाली हाथ : 50 साल बाद देखा कुदरत का कहर, बर्फ ऐसी बड़ी जैसे शिलाएँ जम गई
ब्रह्मास्त्र इंदौर। समीपस्थ सांवेर के पास इंदौर की सीमा से लगे उज्जैन के कुछ गांवों में कुदरत ने ऐसा कोहराम मचाया कि जिन फसलों को देखकर किसान खुश हो रहे थे, वे आड़ी पड़ गईं। परसों रात ऐसे ओले गिरे की कल शाम तक वे गले तक नहीं। गांव के बुजुर्ग किसानों का कहना है कि पिछले 40 से 50 सालों में ऐसी ओलावृष्टि नहीं देखी। यहां करीब आधा दर्जन गांवों के किसानों की फसलेें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं।
पिछले तीन – चार दिनों से हो रही बारिश ने पारे को गिरा दिया है, वहीं ठंड भी बढ़ा दी है। हालांकि कई गांवों में बारिश की मोटी-मोटी बूंदों के कारण फसलों को नुकसान हुआ है, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान सांवेर तहसील के फतेहाबाद-चन्द्रावतीगंज गांव से आगे उज्जैन की सीमा मेंं बसे गांव हमीर खेड़ी, डकवासा, लेकोड़ा, गोंदिया, ब्रजराजखेड़ी, गंगेड़ी में हुआ है। यहां किसानों ने गेहूं , प्याज और लहसुन की फसलें बो रखी हैं।
इनसे लगे कुछ गांवों में भी फसलें ओलावृष्टि के कारण आड़ी पड़ गई हैं। शुक्रवार रात हुई बारिश के बाद जब किसान सुबह खेतों में पहुंचे तो देखा कि खेतों में बड़े-बड़े ओले पड़े हुए है। हमीरखेड़ी के किसान दीपक पटेल ने बताया कि खेतों में कई जगह बर्फ की चादर-सी बन गई थी और उसके नीचे फसल दबी हुई थी। कल दिनभर ये ओले फसलों पर जमे रहे और उनकी चट्टानें बन गईं। ओले ऐसे थे कि वे आपस में चिपककर बर्फ की सिल्लियों में बदल गए। किसानों का कहना है कि मात्र 20 मिनट की ओलावृष्टि ने ही फसलों को बर्बाद करके रख दिया है। हालांकि प्रशासन की ओर से अधिकारियों ने आकर सर्वे किया है। गांव के ही बुजुर्गों ने कहा कि ऐसा करीब 45 साल पहले हुआ था, जब खतरनाक ओलावृष्टि हुई थी।
मानों छत पर पत्थर फेंक रहे हों
ओलावृष्टि तो मात्र 20 मिनट हुई, लेकिन ओले छतों पर गिरने की आवाजें सुनकर ऐसा लग रहा था कि बड़े-बड़े पत्थर फेंके जा रहे हों। ये आवाज सुनकर किसान सहम गए। रातभर बारिश का दौर जारी रहा और किसान घरों में ही दुबके रहे। सडक़ों पर भी ओले पड़े थे और जब सुबह किसानों ने खेतों में जाकर अपनी फसलों को देखा तो वे मायूस हो गए।
उंबियां झड़ गईं, फसल सड़ गई
इन दिनों गेहूं की फसल में उंबियां आना शुरू हो जाती हैं। खेत में ये उंबियां आ गई थीं, लेकिन बड़े-बड़े ओले गिरने के कारण उंबियां टूटकर नीचे गिर गई। जहां ज्यादा ओलावृष्टि हुई, वहां तो पूरी फसल ही आड़ी पड़ गई। कई किसानों के खेतों में अभी भी बारिश का पानी भरा हुआ है और उसमें फसल आड़ी पड़ी है। विशेषकर आलू-प्याज और लहसुन के खेतों में भी पानी भरा गया है, जिस कारण पूरी फसल सडऩे की कगार पर है। किसानों के सामने अब फसल को गाय-भैंसों के खिलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
ओला प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे, किसानों को अधिकतम मुआवजा व राहत मिलेगी
ग्रामीण क्षेत्र में ओला प्रभावित फसलों का निरीक्षण किया गया। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार रात्रि को विभिन्न स्थानों पर ओलावृष्टि हुई थी। ग्राम गंगेड़ी, ब्रजराजखेड़ी, गोंदिया, लेकोड़ा, टकवासा व हमीरखेड़ी में ओला प्रभावित फसलों का निरीक्षण राहत टीम ने किया। उक्त स्थानों पर लहसुन, आलू, प्याज और गेहूं की फसल को ओलावृष्टि से काफी नुकसान हुआ है। अधिकारियों ने स्थानीय ग्रामीणजनों को आश्वस्त किया कि किसान किसी प्रकार की चिन्ता न करें। सरकार हर समय उनके साथ है। उन्हें अधिकतम मुआवजा और राहत दिलवाई जाएगी।