भारतीय मूल्यों की समावेशी है नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति ‘- श्रीवास्तव

 

इंदौर।’एक राष्ट्र, एक शिक्षा नीति’ से राष्ट्र के उत्थान निर्माण के साथ- साथ विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को केंद्र में रखकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर व्यापक कार्य हो रहा है।
यह जानकारी स्टेट प्रेस क्लब, म. प्र. के ‘संवाद’ कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन के पश्चिम क्षेत्र प्रमुख एवं महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा के कुलपति प्रो. डॉ. विजय कुमार श्रीवास्तव ने दी।डॉ. श्रीवास्तव, मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने एवं उसके क्रियान्वयन के लिए कार्य करने वाले प्रमुख लोगों में से एक हैं। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनइपी) 20-20 को लागू हुए तीन वर्ष हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य सभी को शिक्षा, समानता, गुणवत्ता, शिक्षा को सबके लिए वहन करने योग्य बनाना, कौशल विकास को प्रधानता और उद्यमिता का विकास करना है।

उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय ज्ञान परंपरा के मानवीय मूल्य पर आधारित है इसमें भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रमुख स्तंभों जैसे आयुर्वेद अर्थशास्त्र आदि का समावेश किया गया है। यह नीति पूरे राष्ट्र को शिक्षित करने के साथ-साथ सबको उसके अनुरूप शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार प्रदान करती है। यथासंभव हर विद्यार्थी को पढ़ने के बारंबार अवसर मिलें, यह इसकी विशेषता है।

पंचतत्वों से बना भगवान

विश्वविद्यालय में कुलपति एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पश्चिम क्षेत्र के प्रमुख होने के साथ-साथ प्रो.श्रीवास्तव का मुख्य विषय पर्यावरण संरक्षण तथा संवर्धन भी है। उन्होंने कहा कि भगवान शब्द पंच तत्वों से बना हैं भूमि, गगन, वायु, अग्नि एवं नीर। हमें जल जंगल जमीन जन एवं जानवर सबके सहअस्तित्व पर ध्यान देना होगा। प्रकृति के पोषण की जिम्मेदारी सबकी है। प्रारम्भ में अतिथि का स्वागत प्रवीण कुमार खारीवाल, नवनीत शुक्ला आदि ने किया। आभार मोहनलाल मंत्री ने माना।

पुनः विश्व गुरु बनने की दिशा में भारत

कुलपति प्रो. श्रीवास्तव ने बताया कि वर्ष 2020 से क्रियान्वयन में आईं नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को पुनः विश्व गुरू बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अभी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र यूएसए के साथ यूरोपीय देशों में पढ़ने जाते हैं लेकिन इस नीति के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विवि में ही 64 देशों के 2500 विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।