विकासखंड के कई गांवों में 200 फीट नीचे पहुंचा भू-जल स्तर
सारंगपुर। यूं तो सारंगपुर विकासखंड के अधिकतर गांवो में साल दर साल जल संकट का दौर चला आ रहा है लेकिन यह पर शासन-प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों की उदानसीता से लोग इस मूलभूत सुविधा से वंचित नजर आते है। जन का जीवन माने जाने वाले जल का संकट प्रतिवर्ष संकट गहराने के बाद भी स्थाई समाधान न होना बड़ी लापरवाही को दशार्ने के लिए काफी है। गांवो में समूह जल योजना का कोई पता ठिकाना नही होने से लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे है।
पीएचई के अधिकारियों की माने तो सारंगपुर के कई गांव ऐसे है जिनका जल स्तर वर्तमान समय में करीब 200 फीट नीचे पहुंच गया है। इनमें पड़ाना, पाडल्यामाता, पाडल्या अंजला, भाटखेड़ी सहित कई अन्य गांव शामिल है। लेकिन इस विकट स्थिति से निबटने मात्र के लिए शासन-प्रशासन की कोई कार्ययोजना धरातल पर दिखाई नहीं दे रहे है। पीएचई बंद पड़े हैंडपंपो को सुधारने के लिए दो गाड़ियों के माध्यम से काम कर रही है लेकिन अगर जलस्तर 150 फीट से नीचे चला जाए तो फिर हैंडपंप काम नहीं करते है। जबकि जिम्मेदार अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि कुण्डालिया डेम के आसरे बैठे नल समूह योजना से समस्या का निदान निकालने की बात कर रहे है लेकिन इसका काम भी ठप्प पड़ा है और अप्रैल में पानी गांवो में पहुंचाने का दावा करने वाले जनप्रतिनिधि, जल निगम और एलएनटी कंपनी के अफसर मौन है। ऐसे में आम आदमी कुछ गांवो में जल के लिए जंगलो को खाक छानने पर मजबूर है तो कुछ खरी कमाई से मौल पानी खरीदकर अपना काम चला रहा है। ऐसे में सरकारी सिस्टम से मिलने वाली राहत इन से कोसो दूर नजर आ रही है।
कहने को तो ब्लॉक में 54 नल-जल योजनाएं है जिनमें से टंकी आधारित है और नल-जल आधारित हैं। लेकिन विभाग आंकड़ों में 15 नल-जल योजनाएं जल स्त्रोतों में पानी की अपर्याप्ता के कारण ठप्प है। पीएचई रामेश्वर शर्मा का कहना है कि जो 15 नल-जल योजना के गांव है उनमें हमने बोरिंग कराई है लेकिन सफलता प्राप्त नहीं हूई अब आगे हम कुछ नहीं कर सकते है। यह योजनाएं ठप्प ब्लॉक में जो टंकी नल-जल योजना बंद है उनमें पड़ाना, कलाली, दिग्वाड, भूराखेड़ी, हालुहेड़ीकला, पाडल्यामाता, टूटियाहेड़ी, लखेसरा, लक्ष्मणपुरा, बरखेड़ा खुर्रम, भाटखेड़ी, बनी, पीपल्यामोची आदि शामिल है। इन गांवो में भयंकर जलसंकट का सामना ग्रामीणों को करना पड रहा है।