दैनिक अवंतिका उज्जैन। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां राजमाता माधवी राजे सिंधिया की अस्थियां शुक्रवार को उज्जैन में लाई गई व शिप्रा के रामघाट पर पूजन-अर्चन के बाद विसर्जित की गईं। ग्वालियर से अस्थियों को कलश में लाया गया व आम दर्शन के लिए इसे उज्जैन के देवास गेट पर स्थित सख्याराजे धर्मशाला परिसर में रखा गया। 
यहां लोगों ने अस्थि कलश पर पुष्प अर्पित किए। इसके बाद नगर में कलश यात्रा निकाली गई। इसके लिए एक रथ तैयार किया गया। रथ पर माधवी राजे सिंधिया का पोस्टर भी लगाया गया। यात्रा देवास गेट से शुरू होकर मालीपुरा, कंठाल चौराहा, गोपाल मंदिर होते हुए रामघाट पहुंची जहां पंडे-पुजारियों ने मंत्रोंच्चार कर अस्थि कलश का पूजन संपन्न कराया। इसके बाद अस्थि कलश को बीच शिप्रा नदी में नाव से ले जाकर विसर्जित किया गया।

15 मई को दिल्ली में दिल्ली में हुआ 

था निधन, तीसरा कलश उज्जैन आया 

15 मई को राजमाता माधवी राजे सिंधिया का दिल्ली के एम्स में निधन हाे गया था। 16 मई को ग्वालियर में छत्री परिसर में उनका अंतिम संस्कार किया गया। ग्वालियर से राजमाता माधवी राजे का दूसरा कलश शिंदे मंडली के सदस्य पांडु रंगा राव और महल के अधिकारी संग्राम सिंह कदम उज्जैन लेकर आए। यह माधवी राजे की अस्थियों का तीसरा कलश था। 

माधवी राजे कई बार आई उज्जैन, शाही 

सवारी का स्वागत भी कर चुकी है

माधवी राजे सिंधिया विभिन्न अवसरों पर कई बार उज्जैन आई। सिंधिया परिवार का उज्जैन से खास नाता रहा है। सिंधिया के सबसे मुख्य स्थल के रूप में यहां बीच शहर में गोपाल द्वारकाधीश गोपाल मंदिर बना है। बड़ी राजामाता से लेकर माधवराव सिंधिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनकी पत्नी व सिंधिया परिवार के प्रत्येक सदस्य इस मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए आ चुके हैं। गोपाल मंदिर से जुड़े लोगों ने बताया हर वर्ष परंपरा अनुसार महाकाल की शाही सवारी में स्वागत व पूजन के लिए सिंधिया परिवार का कोई एक सदस्य उज्जैन जरूर आता है तथा उनके द्वारा गोपाल मंदिर या रामघाट से पूजन किया जाता है। माधवी राजे सिंधिया भी महाकाल की शाही सवारी का पूजन कर चुकी है।