श्रावण में महाकाल की 5 सवारी, रक्षाबंधन और जन्माष्टमी पर्व का संयोग भी बनेगा
– भादो मास में भी 2 सवारी आएगी, भगवान महाकाल की कुल 7 सवारियां रहेंगी
दैनिक अवंतिका उज्जैन।
श्रावण मास में इस बार महाकाल की 5 सवारियां निकलेगी। सवारी के दौरान रक्षाबंधन और जन्माष्टमी पर्व के संयोग भी बनेंगे। श्रावण मास में इस वर्ष 5 सोमवार रहेंगे। इस कारण भगवान महाकाल की भी 5 सवारियां निकलेगी। श्रावण मास के बाद भादो मास में भी 2 सवारी आएगी। इस प्रकार कुल श्रावण व भादो मास में मिलाकर बाबा महाकाल की इस साल कुल 7 सवारियां निकलेगी।
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य एवं पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया कि हर वर्ष श्रावण व भादो मास में भगवान महाकाल राजा के रूप में चांदी की पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने सवारी में निकलते हैं। नगर की प्रजा भी अपने राजा के दर्शन व स्वागत के लिए आतुर रहती है।
जाने कब-कब निकलेगी महाकाल
की श्रावण और भादो में सवारियां
श्रावण मास की पहली सवारी 22 जुलाई को निकलेगी। इसके बाद दूसरी सवारी 29 जुलाई, तीसरी सवारी 5 अगस्त, चौथी सवारी 12 अगस्त व श्रावण की पांचवीं व अंतिम सवारी 19 अगस्त को निकाली जाएगी। इस दिन संयोग से रक्षाबंधन का पर्व भी मनाया जाएगा। इसके बाद भादो मास में पहली सवारी 26 अगस्त को निकलेगी व दूसरी सवारी 2 सितंबर को निकाली जाएगी। दूसरी सवारी वाले रोज भी जन्माष्टमी का पर्व रहेगा। श्रावण-भादो मास के क्रम में यह सातवीं व अंतिम शाही सवारी भी रहेगी।
इन मार्गों से होकर निकलती है
राजाधिराज महाकाल की सवारी
राजाधिराज महाकाल की सवारी मंदिर से प्रारंभ होकर महाकाल रोड, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होकर रामघाट पहुँचती है जहाँ सवारी का पूजन होता है। इसके बाद रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, जगदीश मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौक, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होकर वापस महाकाल मंदिर पहुंचकर समाप्त होती है। इनमें से केवल एक अंतिम शाही सवारी का मार्ग बड़ा हो जाता है। यह सवारी 2 सितम्बर को आएगी जो महाकाल, रामघाट के बाद टंकी चौक से सीधे मिर्जा नईमवेग, तेलीवाड़ा चौराहा, कंठाल चौराहा, सतीगेट, सराफा, छत्रीचीक होकर गोपाल मंदिर आती है। यहां से पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए महाकाल मंदिर पहुंचकर समाप्त होती है।