किर्गिस्तान से उज्जैन लौटे तीन छात्र,कजाकिस्तान होकर आना पडा भारत
-बिस्किक में विदेशी छात्रों के साथ स्थानीय युवकों के विवाद के बाद भडकी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही
उज्जैन। किर्गिस्तान में मेडिकल की पढाई करने गए उज्जैन के तीन छात्र कजाकिस्तान बार्डर क्रास कर वहां से फ्लाईट लेकर दिल्ली आए और वहां से ट्रेन से उज्जैन पहुंचे हैं। किर्गिस्तान के कांट शहर के एशियन कालेज में उज्जैन के चार विद्यार्थी में से तीन लौट आए हैं एक छात्र योगेश चौधरी रविवार को वहां से भारत के लिए निकलेगा। इन्हें कजाकिस्तान इसलिए जाना पडा कि किर्गिस्तान में ये हिंसा का शिकार हो सकते थे।
उज्जैन आए छात्र रवि सराठे ने बताया कि उनके साथ उज्जैन जिले के नारायण गांव के विवेक शर्मा एवं लाखाखेडी के रोहित पांचाल भी लौट आए हैं। योगेश चौधरी रविवार को वहां से भारत के लिए निकलने वाला है। उन्होंने बताया कि कांट में यह हिंसा कम रही है लेकिन बिस्किक में यह हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। स्थानीय लोग विदेशी छात्रों को लेकर बहुत गुस्से में हैं और वे वहां विदेशी छात्रों के लिए नफरत फैला कर हिंसा को बढावा दे रहे हैं । इस हिंसा की शुरूआत बिस्किक में बहुत ही सामान्य विवाद से हुई हैं। इस हिंसा के बाद वहां विदेशी विद्यार्थियों के लिए स्थानीय लोगों में अच्छी भावना नहीं है।
छात्रों एवं स्थानीय युवकों में मारपीट से उपजा विवाद-
रवि बताते हैं कि 17 मई को बिस्किक कालेज के होस्टल में रहने वाले कुछ छात्रों एवं स्थानीय युवकों के बीच मारपीट हुई थी। इसी विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया और बाद में स्थानीय लोगों ने विदेशी विद्यार्थियों जिनमें लडके –लडकी सभी शामिल हैं को उनके होस्टलों में घुसकर बुरी तरह से मारा है। बिस्किक से शुरू हुई हिंसा वहां से 20 किलोमीटर दूर कांट शहर में पहुंच गई। एशियन कालेज प्रशासन ने विद्यार्थियों को होस्टल से बाहर निकलने पर पाबंदी लगाते हुए विशेष सुरक्षा व्यवस्था कर की थी। स्थानीय युवकों का साथ वहां के लोगों ने भरपुर दिया और वहां विदेशी छात्रों के विरूद्ध नफरत फैलाने के विडियो जारी किए गए। इस हिंसा के बाद वहां विदेशी विद्यार्थियों के लिए स्थानीय लोगों में अच्छी भावना नहीं है।
हिंसा पर नियंत्रण लेकिन नफरत की स्थिति कायम-
रवि बताते हैं कि 24 मई तक वहां हिंसा पर काफी नियंत्रण किया गया है,लेकिन वहां स्थानीय रहवासियों की और से विदेशी पर्यटकों और खासकर विदेशी विद्यार्थियों के खिलाफ नफरत की भावना फैलाई जा रही है,इससे तय है कि वहां पढाई करने वाले विदेशी विद्यार्थियों को स्थानीय लोग निशाना बनाएंगे। वहां की स्थानीय मिडिया भी उसमें सहयोगी बन रही है।
6-7 घंटे का सफर कर कजाकिस्तान पहुंचे-
रवि के अनुसार उन्होंने कांट से निकलने के लिए एक स्थानीय बस हायर की ।स्थानीय होने के बाद भी बस वाला विश्वास का था। इसमें उज्जैन के तीन और अन्य राज्यों के करीब 14 विद्यार्थी सवार हुए और करीब 6-7 घंटे का सफर तय कर किर्गिस्तान की सीमा लांघ कर कजाकिस्तान पहुंचे। यहां से वे अलमाटी शहर में पहुंचे और वहां से उन्होंने दिल्ली की फ्लाईट पकडी। वे 24 मई को दिल्ली पहुंचे और वहां से दो अन्य साथियों के साथ ट्रेन से उज्जैन आए हैं। रवि ने साफ किया कि अगर वे किर्गिस्तान से ही फ्लाईट लेने की कोशिश करते तो हिंसा का शिकार हो सकते थे। इसीलिए उन्होंने कजाकिस्तान के रास्ते भारत आना पडा ।
सीएम ने बढाया हौंसला, दी हिम्मत-
छात्र रवि बताते हैं कि हम लोग काफी डरे हुए थे। कुछ समझ नहीं आ रहा था। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव को हमारी जानकारी होने पर उन्होंने हमसे व्यक्तिगत विडियो काल कर बाचतीच की थी। उन्होंने उस दौरान कहा था कि चिंता मत करो तुम सब मजबूत लोग हो, सब उज्जैन वाले पट्ठे हो। उनके इन शब्दों ने हमारे अंदर जोश भर दिया और फिर वहां से निकलने का रास्ता भी निकल गया।
उज्जैन के 16 विद्यार्थी –
उज्जैन निवासी छात्र योगेश चौधरी ,राज सोलंकी, रवि सराठे, विवेक शर्मा, रोहित पांचाल व प्रवीण प्रजापति सहित उज्जैन के 9 विद्यार्थी किर्गिस्तान के कांट में एशियन मेडिकल इंस्टीट्यूट के छात्र हैं। छात्रा रिया टाटावत सहित 7 बिश्किक के आईएसएम मेडिकल कॉलेज में अध्यनरत् है।