सिंहस्थ के आयोजन पर ’मोहन’ की नजर………70 साल पुराने अधिनियम में भी होगा बदलाव

उज्जैन। उज्जैन में 2028 के दौरान होने वाला सिंहस्थ और सिंहस्थ की तैयारियां सीएम डॉ. मोहन यादव की निगाहों के सामने हो रही है। वे खुद सिंहस्थ की कमान संभाले हुए है वहीं उनकी मंशा अनुसार ही 70 वर्ष पुराने सिंहस्थ अधिनियम में भी बदलाव की तैयारी है।  हालांकि सत्तर वर्ष पुराने इस सिंहस्थ एक्ट में बदलाव को लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव रखा जाएगा लेकिन उम्मीद है कि कैबिनेट में भी इस बदलाव को हरी झंडी मिल जाएगी।

बर्फ के गोले, तांगे और साइकिल पर शुल्क

उज्जैन के बुजुर्ग जिन्होंने बीते सिंहस्थ देखे है उन्होंने बताया कि उस वक्त सिंहस्थ में न तो इतनी भीड़ होती थी और न ही सुरक्षा के इतने अधिक प्रबंध। जो अधिनियम बना था उसके अनुसार मेले में बर्फ के गोले की बिक्री के साथ ही साइकिल और तांगा आदि पर भी शुल्क लगाया जाता था।
मध्यप्रदेश गठन के पहले बना था अधिनियम
मप्र के गठन से पहले सिंहस्य को सकुशल कराने मध्य भारत सिंहस्थ मेला अधिनियम-1955 बना था। इतने सालों से इसी अधिनियम के आधार पर मेले का संचालन हो रहा है। उस वक्त सिंहस्थ मेले में कम संख्या में श्रद्धालु आते थे।  अब यह पूरी  तरह से अप्रासंगिक हो चुका है, लेकिन शुल्क के जरिए प्रबंधन पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाता है। सरकार चाहती है कि इस अधिनियम में बदलाव कर मौजूदा समय के हिसाब से प्रबंधन हो।
सेवाओं को आधुनिक बनाया जाएगा

सरकार ने वर्तमान समय की जरूरतों और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए मध्य भारत सिंहस्थ मेला एक्ट-1955 में संशोधन करने का निर्णय लिया है। यह संशोधन संभावित है। मेले में यातायात प्रबंधन, स्वच्छता, सुरक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं को आधुनिक बनाया जाएगा। क्षिप्रा नदी और मेले के आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण के लिए सख्त नियम लागू होंगे। आर्थिक प्रबंधन के तौर पर सिंहस्थ में फंडिंग, खर्च और राजस्व की पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जाएगा। यह भी होगा कि इस मेला क्षेत्र को सुरक्षित रखा जाए।
एक बड़ी वजह भीड़ में खासा वृद्धि
अधिनियम में बदलाव की एक बड़ी वजह भीड़ में खासा वृद्धि हो चुकी है। पहले जहां लाखों श्रद्धालु आते थे वहीं अब करोड़ों श्रद्धालु इस आयोजन में आते है । आधुनिक यातायात व्यवस्था, संचार, चिकित्सा और स्वच्छता सुविधाओं का विस्तार हुआ है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अस्थाई अस्पताल, पुलिस नियंत्रण कक्ष और स्वच्छता अभियान चलाए जाते हैं। सिंहस्थ का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाता है, जिससे देश-विदेश से मी श्रद्धालु आते हैं। डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी जानकारी व्यापक रूप से फैलाई जाती है।
बदलाव  में अब 17 की जगह 40 धाराएं

सिंहस्थ अधिनियम-1955 में बदलाव  में अब 17 की जगह 40 धाराएं होंगी। इस अधिनियम के तहत सिंहस्थ मेले में भूमि प्रबंधन, आवंटन, मेला शुल्क, सुरक्षा, आवागमन से लेकर सभी सुविधाएं दी जाती है। अधिनियम में बदलाव की मुख्य वजह पिछले 70 सालों में सिंहस्थ के स्वरूप में हुए बदलाव को माना जा रहा है।