पेपर लीक मामले में इंदौर के चार कॉलेज के नाम आ रहे सामने

 

पेपर सेटर से करते हैं सेटिंग और फिर व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए विद्यार्थियों तक पहुंचाए जाते हैं प्रश्न

इंदौर। एमबीए फर्स्ट सेमेस्टर के पेपर लीक मामले में कुछ कालेजों का नाम सामने आए है, जो अपने विद्यार्थियों को पास करवाने के लिए न सिर्फ पेपर आउट करवाते है। बल्कि परीक्षा के दौरान विषय संबंधित पेपर में पूछे जाने वाले प्रश्नों का पता लगते है। इसके लिए पेपर सेटर से तक संपर्क करते है। वहीं छात्र-छात्राओं की परीक्षा की उत्तरपुस्तिका के मूल्यांकन पर भी नजर रखी जाती है। बकायदा बिचौलियों के माध्यम से कालेज पर विद्यार्थियों के मूल्यांकन में भी अंक बढ़वाने का आरोप भी लगता है।

छात्रों को पास की गारंटी

ऐसा कालेज इसलिए करती है, क्योंकि मोटी फीस वसूलने के साथ ही विद्यार्थियों को प्रवेश के दौरान ही मौखिक पर पास करवाने का हवाला दिया जाता है। विश्वविद्यालय में पेपर बनाने का काम गोपनीय विभाग है। यहां तक कि पेपर सेटर करने वालों का नाम सार्वजनिक नहीं किया जाता है। बावजूद इसके कालेजों तक पेपर सेटर की जानकारी पहुंचती है और वह उनसे संपर्क करते है। यह कारनामा कालेज बरसों से कर रहे है। पेपर आउट करने से पहले ही कालेज सेटर से प्रश्नों का पता लगा लेते है और महत्वपूर्ण प्रश्न बताकर विद्यार्थियों तक परीक्षा से एक दिन पहले पहुंचाते है। यहीं वजह है कि विश्वविद्यालय को तीन-तीन पेपर तैयार करवाना पड़ते है। ये तीनों अलग-अलग शिक्षकों से करवाए जाते है।

पेपर प्रकाशन विभाग पर भी संदेह

पेपर प्रकाशन विभाग पर शक
पहला केंद्र और दूसरा विश्वविद्यालय का पेपर प्रकाशन यानी प्रेस से प्रिंटेट पेपर लीक होता है। इस वजह से विश्वविद्यालय का पेपर प्रकाशन विभाग पर भी संदेह हो रहा है। यहां की कमान प्रेस कंट्रोलर डा. अजय तिवारी ने संभाल रखी है, जो बरसों से यहीं जमे हुए है। कालेजों में पेपर लेकर जाने वाले कर्मचारियों की जानकारी भी प्रकाशन विभाग में रहती है।

डाउनलोड के बाद करते है डिलीट

पेपर लीक मामले में चार कालेजों के नाम छात्र संगठनों की तरफ से बताए गए है, जो वाट्सअप ग्रुप के माध्यम से विद्यार्थियों तक पेपर भिजवाए जाते थे।

वाट्सअप ग्रुप पर देते थे पेपर

सूत्रों के मुताबिक वाट्सअप ग्रुप से वही विद्यार्थी जुड़ता था, जो रुपये देते थे। सूत्रों के मुताबिक पेपर डाउनलोड करने के बाद ग्रुप भी डिलीट करते थे। कालेजों द्वारा फेल करने के डर से वो विद्यार्थी भी कुछ नहीं कह रहे है, जो वाट्सअप ग्रुप का हिस्सा नहीं है। वे कहते है कि कालेज के पास इंटरनल मार्क्स देने का अधिकार है। फिलहाल छात्र संगठनों ने कालेज के वाट्सअप ग्रुप की जानकारी दी है। उसके आधार जांच करने में समिति को आसानी होगी। सभी बिंदुओं पर करेंगे जांचपेपर लीक मामला जांच समिति के पास पहुंच चुका है। वह प्रत्येक बिंदु पर जांच कर रिपोर्ट देंगी। वैसे पुलिस में भी पेपर लीक को लेकर शिकायत दर्ज करवा दी है।