समाज को एक सूत्र में पिरोना वैदिक साहित्य में भारतीय ज्ञान की परंपरा का मूल उद्देश्य है-मिश्र

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शाजापुर। भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध संदर्भ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किला परिसर स्थित शासकीय कन्या महाविद्यालय में गुरुवार को किया गया। वेबीनार में बीज वक्ता के रूप में संस्कृत विभाग राजकीय महिला कॉलेज पुरी उड़ीसा के अध्यक्ष डॉ राकेशकुमार मिश्र ने कहा कि भारत में ज्ञान की परंपरा प्राचीन रही है, जिसमें अनेक धाराएं प्रचलित हैं। इसका पहला ग्रंथ वेद रहा है। वैदिक साहित्य में भारतीय ज्ञान की परंपरा प्रवाहित होती रही है, जिसका मूल उद्देश्य समाज को एक सूत्र में पिरोना है। वहीं मुख्य वक्ता मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग वीर बहादुरसिंह पूर्वांचल विवि जौनपुर उप्र के अध्यक्ष डॉ कमलेश पाल ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के द्वारा हम विश्व गुरू बन सकते हैं। आज भारत की शैक्षणिक संस्थाओं को भारतीय ज्ञान परंपरा से पूर्ण रूपेण जुड?ा होगा। वेबीनार की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ पी मूंदड़ा ने की। अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रगति के पथ पर ले जा रही है। राष्ट्रीय वेबीनार में प्रारंभिक परिचय एवं स्वागत भाषण आईक्यूएसी को-आॅर्डिनेटर डॉ शेरू बेग ने दिया। इसके उपरांत तकनीकी सत्र में डॉ ऋचा सक्सेना, दीपिका गुप्ता एवं डॉ रितेश महाडिक ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। बीकेएसएन कॉलेज के रसायन शास्त्र विभागाध्यक्ष एवं आईटी नोडल अधिकारी डॉ अरूण कुमार बोड़ाने, कन्या महाविद्यालय के कम्प्यूटर आॅपरेटर नरेन्द्र भाटी ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया। वेबीनार का संचालन वेबीनार संयोजक डॉ संदीपकुमार सिंह ने किया तथा आभार दीपिका गुप्ता ने माना।

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