निनौरा की विधवा महिला ने पति-बेटे की स्मृति में शिप्रा नदी पर घाट बनाया

-मुख्यमंत्री ने विडियो कांफ्रेसिंग में अधिकारियों के समक्ष रखी जानकारी

– जानकारी सामने आने पर जलसंसाधन सहित राजस्व के अधिकारी लगे जानकारी निकालने में

उज्जैन। सिंहस्थ -2016 में वैचारिक कुंभ को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं में आया उज्जैन का निनौरा गांव एक बार फिर चर्चाओं में हैं। यहां की विधवा सीताबाई 60 वर्ष ने पति और बेटे की स्मृति में अनुकरणीय कार्य किया है। उन्होंने जूना निनौरा में आधा करोड से भी अधिक लागत से शिप्रा नदी पर घाट का निर्माण किया है और इसके साथ ही यहां पर भोलेनाथ का एक सुंदर मंदिर भी उन्होंने बनवाया है।

प्रचार –प्रसार से दूर रहते हुए सीताबाई ने इस काम को अंजाम दिया है। इसकी चर्चा शुक्रवार को उस समय सामने आई जब सिंहस्थ की विडियो कांफ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने इसका जिक्र किया।

पति-बेटे दोनों ही सडक दुर्घटना का शिकार हुए-

सीताबाई पति स्वर्गीय शंकरलाल जूना निनौरा की रहने वाली हैं। उन्होंने हाल ही में शिप्रा नदी पर करीब 200 फीट चौडा और इतना ही लंबा घाट सार्वजनिक उपयोग के लिए बनवाया है। उनके रिश्ते के पौत्र विशाल चौधरी बताते हैं कि उनके बेटे की मौत इंदौर रोड रामवासा टोल के पास सडक बनने के कुछ साल बाद ही जमीन पर जाते समय सडक दुर्घटना में हो गई थी। पति की मौत 2016 में दीपावली के दिन तपोभूमि के पास सडक दुर्घटना में हो गई थी। 3बेटियों की शादी वे कर चुकी हैं सभी अपने परिवार के साथ रहती हैं और वर्षवार एक-एक कर उनकी सेवा के लिए आती रहती हैं। घाट नदी किनारे की सरकारी जमीन पर बनाया गया है।

निनौरा सार्वजनिक सेवा का गांव है- सरपंच

गांव की सरपंच पूजा पति गोपाल जायसवाल हैं। उनके अनुसार गांव में सेवा एवं सार्वजनिक सेवा के लिए कई उदाहरण हैं। यह गांव की ही विधवा महिला सीताबाई का अनुकरणीय उदाहरण है। ग्रामीण क्षेत्र में धर्म-कर्म के लिए यह घाट सार्वजनिक उपयोग में महत्वपूर्ण साबित होगा।

 

जमीन बेचकर पैसा घाट बनाने में लगाया-

ग्रामीण सोनू शर्मा बताते हैं कि सीताबाई की टोल टेक्स नाके के पास मुख्य रोड से लगी जमीन थी । उसी को उन्होंने बेचने के बाद समाज के लिए कुछ करने का मन बनाया था। इसी के तहत उन्होंने घाट का निर्माण किया और उस पर सुंदर मंदिर का निर्माण भी करवाया है। सार्वजनिक उपयोग के लिए उन्होंने पति एवं बेटे की स्मृति में इस घाट का निर्माण करवाया है।

कृषक ने वैचारिक महाकुंभ के लिए जमीन दी थी-

निनौरा गांव दुसरी बार सामाजिक सेवा के लिए चर्चाओं में आया है। इससे पहले सिंहस्थ -2016 में गांव के संपन्न कृषक सौदान सिंह तंवर ने अपनी करीब 27 बीघा जमीन वैचारिक महाकुंभ के उपयोग के लिए नि:शुल्क उपलब्ध करवाई थी। उनकी जमीन पर ही देश ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय विद्वतजनों ने विचार मंथन किया था ।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां उनके लिए बनाई गई विशेष कुटिया में विश्राम किया था। यहां तक की बाद में जमीन से कील तक प्रशासन साफ नहीं करवा पाया था।