जल जीवन मिशन : 96 योजनाओं को लेने को तैयार नहीं ग्राम पंचायतें !

 

गुणवत्ता विहीन कामों से भविष्य में संचालन व संधारण होगा मुश्किल

 

इंदौर। जल जीवन मिशन की 96 योजनाओं को संबंधित ग्राम पंचायतें व संचालन समितियां लेने को तैयार नहीं है, जबकि ये पुर्ण हो चुकी है। इनके इंकार के पीछे गुणवत्ता विहीन काम और भविष्य में संचालन व संधारण की दिक्कतें बताई जा रही है। विधिवत ट्रांसफर नहीं होने से योजनाओं से संबंधित ग्रामों में भीषण गर्मी में पेयजल संकट की स्थिति है।
जल जीवन मिशन से इंदौर जिले के 566 में से 512 ग्रामों में पेयजल संबंधी काम पुरे हो चुके है, और इनमे से 416 योजनाएं सम्बंधित ग्रामों की पंचायत व संचालन समितियों को सौंपी भी जा चुकी है। केंद्र सरकार के माध्यम से जिले में योजना पर 600 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जा रही है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) इनका क्रियांवयन कर रहा है।
सूत्रों की माने तो इंदौर जिले में जल जीवन मिशन में गुणवत्ता को ताक पर रख इतने घटिया काम हुए है कि कई ग्राम पंचायत व संचालन समितियां जल योजनाओं को आसानी से लेने को तैयार ही नहीं थी, इनमे टंकी निर्माण, पाईप लाईन, सम्पवेल, नल कनेक्शन व ऑटोमेशन के काम शामिल है। इनके संचालन व संधारण के लिए पीएचई के अधिकारियों ने खूब कोशिशें की, लेकिन बात नहीं बन सकी, तब जैसे तैसे जिला प्रशासन के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के सहयोग से इन्हें सम्बंधित ग्राम पंचायत व संचालन समितियों को सुपुर्द किया गया।
दरअसल घटिया काम होने की स्थिति में भविष्य में इनका संचालन व संधारण काफी मुश्किल होगा, फिर ग्रामीण आबादी हर माह आसानी से पेयजल शुल्क भी नहीं चूकाती है, जबकि हर माह बिजली बिल व कुछ कर्मचारियों को भुगतान भी करना होता है। गुणवत्ता विहीन कामों से आए दिन होने वाली टूट फूट व खराबी के लिए भी बजट की जरूरत होती है। इसके चलते 96 जल योजनाओं को लेने के लिए जिम्मेदार का जबाब देने से इंकार पीएचई विभाग के कार्यपालन यंत्री सुनील उदिया ने स्वीकारा है कि 96 ग्रामों में योजना सुपुर्द नहीं की जा सकी है, और 54 में कार्य भी पूर्ण नहीं हुए है, लेकिन बार-बार पूछने पर भी वे इसके कारण नहीं बता सकें।
बताते है योजना के क्रियान्वयन को लेकर विभाग के शीर्ष अधिकारी भी उनसे खुश नहीं है, वे नियमित तौर पर ग्रामों में मौका मुआयना करने नहीं जाते है, और कार्यालय व घर से ही जूनियर इंजीनियर व ठेकेदारों से वीसी से योजनाओं की जानकारी ले लेते है, जबकि इस योजना के लिए खास तौर पर वे इंदौर पदस्थ हुए थे।
सम्बंधित ग्राम पंचायत व समितियां आगे नहीं आ रही है। हालांकि विभाग के अधिकारी इससे इंकार करते है, इनका तर्क है कि बातचीत जारी है, कुछ प्रक्रिया बाकी है, और जल्द ही सुपुर्द कर दी जाएंगी।
अभी इन ग्रामों में विभाग और सम्बंधित एजेंसी के माध्यम से ग्रामीणजनों को पेयजल भी वितरण किया जा रहा है।
हर घर में पहुंचाना नल से जल जिले में जल जीवन मिशन के काम तीन साल पहले शुरू हुए थे, और अब तक सभी 566 ग्रामों में कामों को पूरा कर ग्राम पंचायत व संचालन समितियों को सुपुर्द भी कर दिया जाना था, लेकिन विभागिय अधिकारियों की लापरवाही से ऐसा नहीं हो सका है। पुरे देशभर में ये योजना केंद्र सरकार के माध्यम से क्रियान्वित हो रही है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ये ड्रीम प्रोजेक्ट है।
इसलिए बजट की भी कोई दिक्कत नहीं है, अकेले इंदौर जिले को इसके लिए 600 करोड़ से अधिक मिले है। योजना में हर घर को नल से जल पहुंचना है।

54 ग्रामों में भी कई कार्य नही हुए —

पूरे-एक और 96 जल योजनाओं को देने में दिक्कतें आ रही है, वही 566 में से 54 ग्रामों में पूरी भी नहीं हो सकी है। बताते है यहा आधे अधूरे काम पड़े हुए है, और ठेकेदार काम करने में रूचि नहीं लें रहे है, विभागीय अधिकारी भी लापरवाह बने हुए है।
आधे अधूरे कामों से ग्रामीण आबादी परेशान भी हो रही है, पेयजल की भी दिक्कत है। वैसे अधिकारी तकनीकी व अन्य कारणों से देरी की वजह बता रहे है।