पंजीयन विभाग ने गत वर्ष 2415 करोड़ कमाए, इस साल का टारगेट 2925 करोड़
इंदौर। इंदौर पंजीयन विभाग ने 25 मई तक 255 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया है, जो कि गत वर्ष की तुलना में चार प्रतिशत अधिक है। वहीं दस्तावेजों की संख्या इस दौरान 22500 रही और उसमें भी 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
इस वर्ष में इंदौर जिले को महानिरीक्षक पंजीयन ने 21 फीसदी अधिक का लक्ष्य दिया है, जो कि 2925 करोड़ का है। अभी चुनाव के चलते मार्च के दूसरे पखवाड़े से लेकर अभी 13 मई मतदान तक रजिस्ट्रियों की संख्या में कमी थी और औसतन 600 रजिस्ट्रियां ही हो पा रही थी, जिसका आंकड़ा अब बढ़कर 700 पार हो चुका है।
16 मार्च को आचार संहिता लागू होने के बाद नकदी के लेन-देन पर विशेष निगाह रखी गई। इस कारण रजिस्ट्रियों की संख्या में भी कमी हुई, क्योंकि नकदी का लेन-देन और आवागमन भी कम हो गया था। 13 मई को इंदौर में मतदान के बाद सख्ती कम होने के कारण 14 मई से ही रजिस्ट्रियों की संख्या में वृद्धि होने लगी है।
पिछले साल भी जमीन के कारोबार से ही मध्यप्रदेश शासन को भारी कमाई हुई थी, जिसमें इंदौर पंजीयन विभाग ने ही सर्वाधिक 2415 करोड़ रुपए की कमाई करके दी थी।
यह कमाई शराब ठेकों, परिवहन व अन्य डिपार्टमेंट से अधिक की थी। वरिष्ठ जिला पंजीयक के मुताबिक इस साल का वार्षिक लक्ष्य 2925 करोड़ मिला है, जबकि गत वर्ष इंदौर जिले से 2415 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल किया गया था, जिसमें 500 करोड़ रुपए तक की वृद्धि शासन ने कर दी है।
अभी तो रजिस्ट्रियों की संख्या अच्छी है। इसमें आने वाले दिनों में वृद्धि की संभावना है।
इंदौर पंजीयन विभाग ने 25 मई तक 255 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया है, जो कि गत वर्ष की तुलना में चार प्रतिशत अधिक है। वहीं दस्तावेजों की संख्या इस दौरान 22500 रही और उसमें भी 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
इस वर्ष में इंदौर जिले को महानिरीक्षक पंजीयन ने 21 फीसदी अधिक का लक्ष्य दिया है, जो कि 2925 करोड़ का है। अभी चुनाव के चलते मार्च के दूसरे पखवाड़े से लेकर अभी 13 मई मतदान तक रजिस्ट्रियों की संख्या में कमी थी और औसतन 600 रजिस्ट्रियां ही हो पा रही थी, जिसका आंकड़ा अब बढ़कर 700 पार हो चुका है।
16 मार्च को आचार संहिता लागू होने के बाद नकदी के लेन-देन पर विशेष निगाह रखी गई। इस कारण रजिस्ट्रियों की संख्या में भी कमी हुई, क्योंकि नकदी का लेन-देन और आवागमन भी कम हो गया था। 13 मई को इंदौर में मतदान के बाद सख्ती कम होने के कारण 14 मई से ही रजिस्ट्रियों की संख्या में वृद्धि होने लगी है।
पिछले साल भी जमीन के कारोबार से ही मध्यप्रदेश शासन को भारी कमाई हुई थी, जिसमें इंदौर पंजीयन विभाग ने ही सर्वाधिक 2415 करोड़ रुपए की कमाई करके दी थी। यह कमाई शराब ठेकों, परिवहन व अन्य डिपार्टमेंट से अधिक की थी। वरिष्ठ जिला पंजीयक के मुताबिक इस साल का वार्षिक लक्ष्य 2925 करोड़ मिला है, जबकि गत वर्ष इंदौर जिले से 2415 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल किया गया था, जिसमें 500 करोड़ रुपए तक की वृद्धि शासन ने कर दी है।
अभी तो रजिस्ट्रियों की संख्या अच्छी है। इसमें आने वाले दिनों में वृद्धि की संभावना है।