परिवहन विभाग के आला अफसरों को अपने विभाग के अफसर पर विश्वास नहीं
ड्राइविंग टेस्ट का ठेका दिया निजी संस्थान को
इंदौर। परिवहन विभाग के भोपाल में बैठे आला अफसर को अपने ही विभाग के अफसरों पर विश्वास नहीं है। प्रदेश के सभी आरटीओ कार्यालय में आने वाली जनता का अमले की कमी के बाबाद काम किया जा रहा है। यही काम अफसरों को रास नहीं आ रहा है। यही अफसर अब कह रहे हैं कि ड्राइविंग ।
लाइसेंस का टेस्ट आवेदक को आरटीओ कार्यालय में नहीं देना होगा। न जबकि मोटर व्हीकल एक्ट में साफ है बाकि ड्राइविंग लाइसेंस की ट्रायल डीएआरटीओ यह फिर इंस्पेक्टर के अधीन होना चाहिए यह कार्य आरटीओ कार्यालय में हो रहा है।
इंदौर आरटीओ कार्यालय में प्रतिदिन र 200 से ढाई सौ ड्राइविंग लाइसेंस ट्राईल क लेकर बनाई जा रहे हैं। वैसे भी आजकल 16 साल के बच्चों को दोपहिया और चार पहिया वाहन चलाना का आता है और यह सड़कों पर वाहन दौड़ते हुए दिखाई देते हैं इसलिए ट्रायल देने में आजकल कोई पीछे नहीं है।
आरटीओ में अब ड्राइविंग टेस्ट की जरूरत नहीं होगी। केंद्र सरकार के सड़क परिवाहन मंत्रालय ने कई नियमों में बदलाव किये हैं जिससे लाईसेंस बनवाना भी अब और आसान होगा। इससे भ्रष्टाचार पर भी नकेल कसी जाएगी। बताया गया है कि एक जून से नए नियम लागू होंगे।
लाइसेंस बनवाने के लिए अब निजी संस्थाओं को अधिकृत किया जाएगा जो ड्राइविंग टेस्ट कर सकेंगे और आरटीओं को रिपोर्ट देंगे, जिसके बाद लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया होगी।
निजी संस्थान वाले वसूलेंगे मोटी फीस —
एक जून से निजी संस्थान वालों को ड्राइविंग लाइसेंस ट्रायल का ठेका दे दिया तो यह संस्थान मोटी फीस तो वसुलेंगे ही साथ ही अवैध वसूली भी बढ़ जाएगी। अपुष्ठ सूत्र तो यह भी कहते हैं कि भोपाल मैं बैठे अफसरों को कमीशन चाहिए इसलिए केंद्र सरकार का बहाना कर निजी संस्थान को ठेका दे रहे हैं। जबकि केंद्र के कई नियम है जो प्रदेश में लागू ही नहीं हुए हैं।