लोकसभा चुनाव का परिणाम आज.. उज्जैन- इंदौर की राजनीति में जबरजस्त बदलाव आएगा नजर

 

इंदौर। एग्जिट पोल्स और सट्टा बाजार यही संकेत दे रहे हैं कि इंदौर और उज्जैन संभाग यानी मालवा और निमाड़ अंचल में भाजपा सभी आठ सीटें जीतने जा रही है। खंडवा, उज्जैन, देवास – शाजापुर, मंदसौर और इंदौर में जीत को लेकर नहीं बल्कि कांग्रेस की हार के अंतर को लेकर सट्टा खाया जा रहा है।
कांग्रेस को रतलाम – झाबुआ, धार और खरगोन से उम्मीद है लेकिन इन तीनों ही सीटों पर सट्टा बाजार भाजपा की जीत की भविष्यवाणी कर रहा है। रतलाम की सीट पर कांतिलाल भूरिया के भाव 7 पैसे चल रहे हैं। यही स्थिति धार और खरगोन की है। जाहिर है यदि मालवा और निमाड़ अंचल से कांग्रेस का सफाया हुआ तो इसका सीधा असर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की राजनीति पर पड़ेगा।

 

कुल मिलाकर यहां के समीकरण बदलेंगे। इसी तरह लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद कांग्रेस में समीकरण बदलेंगे। कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, अरुण यादव से लेकर अन्य वरिष्ठ नेताओं की भूमिका तय होगी। अभी दिग्विजय सिंह को छोड़कर किसी वरिष्ठ नेता की केंद्रीय स्तर पर कोई भूमिका नहीं है।
पार्टी ने पीढ़ी परिवर्तन करते हुए पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, ओमकार सिंह मरकाम और प्रवीण पाठक को केंद्र स्तर पर जिम्मेदारी देकर आगे बढ़ाया है।
वहीं, प्रदेश में जीतू पटवारी, उमंग सिंघार, हेमंत कटारे को आगे किया है। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव कमल नाथ और दिग्विजय सिंह की अगुआई में लड़े गए थे। अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं होने पर कमल नाथ को हटाकर जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पीढ़ी परिवर्तन का संदेश दिया गया। लोकसभा चुनाव में चाहे टिकट देने की बात हो या फिर चुनाव अभियान के संचालन का जिम्मा, पार्टी ने नए चेहरों को आगे बढ़ाया।

चुनाव परिणाम आने के बाद फिर समीकरण बदलेंगे और वरिष्ठों की भूमिका भी तय होगी। जिस तरह कमलेश्वर पटेल और ओमकार सिंह मरकाम को केंद्रीय संगठन में स्थान दिया गया और फिर चुनाव भी लड़ाया, उससे साफ है कि पार्टी युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाएगी। इसकी झलक प्रदेश कार्यकारिणी के गठन में दिखाई देगी, जिसके संकेत प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी दे चुके हैं।
आधे से अधिक पद युवा को देने की तैयारी है। इसमें युवा कांग्रेस, एनएसयूआई, महिला कांग्रेस समेत अन्य संगठनों में काम कर रहे पदाधिकारियों को आगे बढ़ाया जाएगा। वहीं, केंद्रीय संगठन में अरुण यादव को महासचिव बनाया जा सकता है। वे पूर्व में भी राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में काम कर चुके हैं। गुना लोकसभा सीट से उन्होंने टिकट की मांग की थी और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मिले थे।

सूत्रों के अनुसार उन्हें चुनाव न लड़ने और आगे के लिए तैयारी करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद उनके पटवारी के साथ संयुक्त दौरे बने थे।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनाव परिणाम के साथ ही कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और कांतिलाल भूरिया जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का राजनीतिक भविष्य भी तय हो जाएगा।
इन नेताओं को चुनाव में सफलता मिलती है तो उनका कद बढ़ेगा और केंद्रीय संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। कमल नाथ को राष्ट्रीय स्तर पर अन्य दलों के नेताओं के साथ समन्वय का जिम्मा मिल सकता है तो दिग्विजय सिंह का उपयोग संगठन को मजबूत करने के लिए कार्यक्रम निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है।

Author: Dainik Awantika