यूनिवर्सिटी ने इस तरह ली बच्चों की परीक्षा: ऑफलाइन एग्जाम में 90 प्रतिशत केंद्रों पर थर्मल स्क्रीनिंग भूले, बीमार छात्रों को अलग नहीं बैठाया

इंदौर। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की ऑफलाइन परीक्षाएं मंगलवार से शुरू हुईं। पहला दिन अव्यवस्था के नाम रहा। कोविड संक्रमण के बावजूद 98 फीसदी उपस्थिति रही। सुबह 8 बजे से परीक्षा का दौर शुरू हुआ, जो तीन शिफ्ट में शाम 5 बजे तक चला। इस दौरान विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन, अव्यवस्था रही और विवाद भी हुए।
कई केंद्रों पर क्षमता से डेढ़ गुना तक छात्रों ने परीक्षा दी। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हुआ। कई केंद्रों पर बीमार छात्रों के पहुंचने की जानकारी सामने आई। इससे अन्य छात्रों में दहशत रही। एक केंद्र पर एक टेबल पर तीन-तीन छात्रों से परीक्षा दिलवाई गई।
कुल मिलाकर कोर्ट के फैसले के बाद अब बुधवार को भी परीक्षा का सिलसिला जारी रहेगा। इधर, यूनिवर्सिटी ने देर शाम कोर्ट के फैसले के आधार पर स्पष्ट कर दिया कि जो छात्र अभी परीक्षा नहीं दे पाए या अगली परीक्षा भी नहीं देंगे, उनके लिए अलग से फरवरी में परीक्षा आयोजित की जाएगी।

जानकारी के लिए नोटिस तक नहीं

90 प्रतिशत केंद्रों पर थर्मल स्क्रीनिंग नहीं हुई। जीएसीसी में एक टेबल पर कई कमरों में दो तो कई क्लास में तीन-तीन छात्रों ने परीक्षा दी। सोशल डिस्टेसिंग का उल्लंघन हुआ। महाराजा रणजीतसिंह, ओल्ड जीडीसी, न्यू जीडीसी में छात्रों ने इस बात पर भी हंगामा किया कि उन्हें किस कक्ष में बैठना है, यह नोटिस तक ठीक से नहीं लगाया गया था।

98 फीसदी रही उपस्थिति

35 हजार 800 छात्रों को शामिल होना था। 98 फीसदी छात्र परीक्षा देने पहुंचे। परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशेष तिवारी का कहना है कि जो छात्र अनुपस्थित रहे, उनके लिए हम फरवरी के दूसरे सप्ताह में प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाओं के साथ अलग से एग्जाम आयोजित करेंगे। बुधवार से टीम निरीक्षण कर केंद्रों पर व्यवस्था जांचेगी।

केंद्र दूर-दूर, साधन नहीं मिले, देर से पहुंचे कई छात्र

परीक्षा केंद्र दूर-दूर बनाए। असमंजस के बीच परीक्षा हुई इसलिए कई छात्र अलसुबह बाहर से निकले अौर पहुंचे। सेंटर तक पहुंचने के लिए पर्याप्त साधन नहीं मिले। कई देर से पहुंचे। हालांकि बैठने की अनुमति दे दी गई।

कोई बीमारी में पहुंचा तो कोई बच्चे को गोद में लेकर

जीएसीसी में एक महिला परीक्षार्थी अपने नौ माह के बच्चे को लेकर पहुंची तो एक निजी कॉलेज में बीमार छात्र ने परीक्षा दी, उसे अलग बैठाने तक की व्यवस्था नहीं की गई।

हमारी जीत हुई, बच्चों का भी हुआ फायदा : छात्र नेता

एनएसयूआई से जुड़े छात्र नेता यश यादव और अमित ठाकुर ने कहा कोर्ट के इस निर्णय से छात्रों को फायदा होगा कि जो अभी परीक्षा नहीं दे सकें, वे आगे दे सकेंगे। जिन्हें अभी एग्जाम देना है वे दें, नहीं तो फरवरी में होने वाली परीक्षा में शामिल हो।