280 नामांतरण आवेदन को लेकर अपर कलेक्टर ने जताई जमकर नाराजगी
पटवारियों की कलाकारी आज भी जारी , सायबर तहसील का मुख्य मकसद हुआ खत्म
इंदौर। जमीनों की खरीद फरोख्त के साथ ही साइबर तहसील के माध्यम से किए जाने वाले ऑनलाइन नामांतरण की प्रक्रिया में पटवारी रिपोर्ट उलझन बनी हुई है। जिले के 280 लंबित आवेदनों को लेकर तहसीलदार को जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने शपथ ग्रहण करते ही साइबर तहसील पर विशेष ध्यान देने के निर्देश जारी किए थे। प्रदेश में पहले से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इंदौर यह योजना शुरू हो गई थी। मुख्यमंत्री कि इस महती योजना कल आप लोगों को जल्द से जल्द मिले और उन्हें तहसील कार्यालय के चक्कर न काटना पड़े की मंशा पर पटवारी और तहसीलदार की अनदेखी भारी पड़ रही है।
जिले में पटवारी रिपोर्ट के चलते 20 मई तक 280 आवेदन नामांकन के लिए लंबित पड़े हैं। साइबर तहसील को लेकर सामने आई रिपोर्ट के आधार पर अपर कलेक्टर रोशन राय ने सभी तहसीलदार को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि वह साइबर तहसील में होने वाले नामांतरण आवेदन के निराकरण में पटवारी रिपोर्ट जल्द से जल्द प्रस्तुत करें।
उल्लेखनीय नहीं है कि किसी भी खसरे की संपूर्ण भूमि के विक्रय होने पर संपदा सॉफ्टवेयर के माध्यम से भूमि के नामांतरण का मामला साइबर तहसील पर सीधे दर्ज हो रहा है। भोपाल मुख्यालय प्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए अलग-अलग तहसीलदार को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उक्त आवेदन ऑनलाइन होने के बाद संबंधित जिले के अंतर्गत तहसील में पटवारी रिपोर्ट के लिए भेजा जाता है इस पर कोई आपत्ति या शासकीय भूमि आदि नहीं होने की जानकारी मिलने के बाद पटवारी रिपोर्ट ऑनलाइन होना जरूरी है। आपत्ति नहीं होने पर पटवारी रिपोर्ट मिलते ही सीधे नामांतरण कर खसरे में संबंधित का नाम दर्ज किया जाता है।
उक्त मामले में सामने आने वाली भ्रष्टाचार की शिकायत पर भी लगाम लगती है।
जिले में संपदा सॉफ्टवेयर के माध्यम से जमीनों के क्रय विक्रय के बाद ऑनलाइन दर्ज होने वाले नामांतरण आवेदन छात्र प्रतिशत तहसीलदार द्वारा आयुर्वेदिक द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करने की बात लिखकर निरस्त किए जा रहे हैं। इस मामले पर अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है।
संबंधित व्यक्ति से तहसीलदार और बाबू नए सिरे से आरसीएमएस के माध्यम से आवेदन करवा कर ही उसका निराकरण कर रहे हैं। अधिकांश तहसील में नामांतरण आवेदन संपदा के हो या सामान्य पटवारी रिपोर्ट प्राप्त बात कर आदेश लंबे समय तक अटका कर रखते हैं।
पूर्व में अपर कलेक्टर के माध्यम से विभिन्न तहसीलों के निरीक्षण में सामने आई जानकारी के आधार पर कलेक्टर ने पांच पटवारी को निलंबित किया था और उन्हें बाद में कर सशर्त सेवा में वापस ले लिया। इसी तरह कुछ तहसीलदारों की बेहतर वृद्धि रोगी और वेतन काटने के साथ ही कारण बताओं नोटिस भी दिया था जिसका जवाब सामने आने के बाद उनके विरुद्ध कार्रवाई भी प्रस्तावित की जा सकती है।
सूत्रों का कहना है कि अधिकांश मामले ऐसे हैं जिनमें पटवारी रिपोर्ट बहुत पहले लग चुकी है किंतु तहसीलदार उन मामलों में आवेदक से चर्चा नहीं होने के चलते आदेश अभी तक नहीं कर पा रहे हैं।