शिप्रा प्रवाह के चार जिलों में एनजीटी के निर्देश/आदेश के पालन की गति धीमी
-शिप्रा प्रदूषण पर एनजीटी के निर्देश /आदेश का इंदौर,देवास,उज्जैन,रतलाम कलेक्टर को करना है पालन
-जल प्रदूषण को मानव वध एवं हिंसक अपराध माना – सचिन दवे
उज्जैन। शिप्रा प्रदुषण को लेकर एनजीटी ने चार जिलों के कलेक्टरों को निर्देश/आदेश दिए हैं। ये विस्तृत निर्देश 10 नवंबर 2023 को देते हुए नदी में बढते प्रदुषण के स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए संज्ञान लेते हुए एक महत्वपूर्ण विस्तृत आदेश पारित किया गया है। आदेश में कलेक्टरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
याचिकाकर्ता सचिन दवे पर्यावरण विद् ने बताया कि शिप्रा को प्रदूषण मुक्त एवं सतत जल प्रवाह के उद्देश्य से शिप्रा अध्ययन यात्रा शिप्रा के उद्गम से शिप्रा के संगम क्षीपावरा तक 280 किलोमीटर यात्रा की 3 वर्ष तक अध्ययन एवं उसके बाद रिपोर्ट के आधार पर ,एनजीटी में याचिका लगाई थी। इसमें 28 पक्षकार बनाए थे। लगातार चल रही सुनवाई में एनजीटी में उज्जैन, इंदौर, देवास और रतलाम जिले के कलेक्टरों की रिपोर्ट है। नोडल एजेंसी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट, कोर्ट कमिश्नर द्वारा शिप्रा की वस्तुतः स्थिति पर विस्तृत निर्देश 10 नवंबर 2023 को शिप्रा नदी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए संज्ञान लेते हुए एक महत्वपूर्ण विस्तृत आदेश पारित किया गया।
मानव वध एवं हिंसक अपराध माना-
ट्रिब्यूनल ने नदी के आसपास अतिक्रमण पर्यावरण कानून एवं नियमों के उल्लंघन एवं विभिन्न योजना का क्रियान्वयन में आ रही देरी को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए इसे मानव वध एवं हिंसक अपराध माना क्योंकि इसके परिणाम आने वाली पीढियां को भुगतना पड़ेंगे। ट्रिब्यूनल ने भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजना गंगा का विभाज्य अंग मान संज्ञान लेते हुए एक महत्वपूर्ण विस्तृत आदेश में पारित किया गया ।
ये निर्देश दिए
-गंगा संरक्षण 2016 के अधीन भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजना गंगा का विभाज्य अंग माना न्यायाधीश शिवकुमार सिंह एवं डॉ अफरोज अहमद की खंडपीठ ने यह निर्देशित किया की शिप्रा नदी के संरक्षण की निगरानी की जिम्मेदारी अधिकारियों पर है। नदियों के संरक्षण एवं पुनर्जीवन हेतु औद्योगिक एवं घरेलू कचरे को नदियों के जल में मिलने से रोकने के लिए बड़े कदम उठाने की जरुरत है एवं नियमों का उल्लंघन होने पर मुआवजे के निर्धारण से संबंधित दिशा निर्देश दिए हैं।
-राज्य सरकार राज्य स्तर पर नदी पुन: स्थापना समिति इसी प्रकार से है जिस प्रकार से गंगा नदी संरक्षण सुरक्षा प्रबंध आदेश 2016 में निर्देशित किया है
– चारों जिलों के कलेक्टर को नदी जल स्रोत के बाद मैदानी क्षेत्रों पर अतिक्रमण रोकने नदी तल एवं बाढ के मैदानी क्षेत्रो का सीमांकन एवं सुरक्षा हेतु उचित कार्रवाई की निर्देश दिए हैं। इस हेतु कानूनी कार्रवाई एवं मुआवजा आरोपित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही नदी में शामिल जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिए कि एसटीपी सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, ईटीपी कामन ट्रीटमेंट प्लांट सीईटीपी आवश्यकता अनुसार बनाएं। कानून अनुसार राज्य स्तरीय निगरानी समिति को सूचित करें एवं उनके परिचालन करें। एसटीपी,ईटीपी के रखरखाव हेतु ऑपरेटर की कार्य की निगरानी सुनिश्चित करने का भार एवं प्रक्रिया कलेक्टरों एवं राज्य निगरानी समिति द्वारा की जाएगी। प्रदूषण करने वाले उद्योगों पर मुआवजा की कार्रवाई की जाएगी।
-राज्य सरकार की शहरी निकायों को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु उन तकनीकी उपलब्ध कराना एवं आवश्यक धनराशि की भी उपलब्ध कराना
-अनौपचारिक अपशिष्ट किसी भी जल स्रोतों में ना मिले इस हेतु राज्य स्तर पर मुख्यसचिव एवं राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय निगरानी समिति इस कार्य की प्रगति का समय पर अवलोकन करें। इस संबंध में शिकायतों का पंजीकरण नियमित करें। केंद्रीय निगरानी समिति जैव विविधता उद्यान की स्थापना जिसका विवरण खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत करें ।
-प्रशासन शहरो गांव में जन जागरण करे
-एसटीपी समय अवधि में पूरा करे, कान नदी के जल का उज्जैन नगर पालिका क्षेत्र से परिवर्तन नगर परिषद आलोट एवं महिदपुर के लिए अपशिष्ट प्लांट के काम करना
-अमृत 2.0 नमामि गंगे फेस एक दो के अंतर्गत प्रस्तावित कार्य किया जाऐ
-उज्जैन, देवास, रतलाम, इंदौर क्षेत्र में एसटीपी का पूर्व क्रियान्वन एवं नदियों के तट पर सघन वृक्षारोपण एवं उसकी जिओ टेकिंग किए जाएं
– निर्देश अनुपालन की जिम्मेदारी पर्यावरण शहरी विकास विभाग के सचिव मेंबर प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड एवं नर्मदा एवं शिप्रा नदी के तट पर स्थित जिला कलेक्टर को दी।