अमरवाड़ा उपचुनाव का लेकर हलचल हुई तेज, इस बार डायरेक्ट कैलाश विजयवर्गीय और जीतू पटवारी दोनो के संघठन क्षमताओं को परखेंगे

 

 

इंदौर। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को इस बार नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने संभाला था। विजयवर्गीय की रणनीति के कारण छिंदवाड़ा के अपने गढ़ में कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ लगभग 120000 मतों से पराजित हो गए। इस लोकसभा क्षेत्र की अमरवाड़ा आदिवासी सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र में अब उपचुनाव होगा क्योंकि कांग्रेस के विधायक कमलेश शाह ने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर भाजपा की सदस्यता ले ली थी।

 

केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव की तारीखें घोषित कर दी हैं। जहिर है कैलाश विजयवर्गीय को एक बार फिर अमरवाड़ा उपचुनाव में लगना पड़ेगा। कमलेश शाह को भाजपा में लाने का काम कैलाश विजयवर्गीय ने ही किया था। इसलिए उन्हें जिताने की जिम्मेदारी श्री विजयवर्गीय के पास ही रहने वाली है। उधर कांग्रेस की ओर से अमरवाड़ा की सीट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी खुद देखने वाले हैं। अमरवाड़ा विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र आज से जमा होंगे।
कांग्रेस ने प्रत्याशी का चयन करने के लिए दो प्रभारियों को भेजा है तो अलग से सर्वे भी कराया जा रहा है। इनकी रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को सौंपी जाएगी। इसके आधार पर प्रदेश कांग्रेस द्वारा केंद्रीय संगठन को नाम प्रस्तावित किए जाएंगे। दरअसल, प्रदेश में छिंदवाड़ा जिला ही ऐसा रहा है, जहां कि सभी सातों विधानसभा सीटें 2018 और 2023 में कांग्रेस ने जीती थीं। इसका श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को ही जाता है। दोनों चुनाव कमल नाथ के नाम पर लड़े गए। टिकट भी उन्हीं ने तय किए थे। बीच लोकसभा चुनाव में उनके भरोसेमंद साथी कमलेश शाह ने अमरवाड़ा विधानसभा सीट से त्यागपत्र देकर भाजपा की सदस्यता लेकर बड़ा झटका दिया।
इसका नुकसान कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ को लोकसभा चुनाव में हुआ और वे इस विधानसभा सीट पर भाजपा के विवेक बंटी साहू से 15 हजार 39 मतों से पीछे रह गए थे। अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट से कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को बढ़त मिली है। 2008 से पार्टी ने यहां कमलेश शाह को चुनाव मैदान में उतारा पर वे 1,140 मतों के अंतर से हार गए थे। 2013 के चुनाव में कमल नाथ ने फिर उन पर भरोसा जताया और उन्होंने 4,063 मतों के अंतर से जीत प्राप्त की।

 

2018 में 10,393 और 2023 के चुनाव में 25 हजार 286 मतों से पराजित कर फिर विधानसभा पहुंचे। आदिवासियों के बीच शाह की छवि का लाभ कांग्रेस को पूरे जिले में मिलता रहा। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के किले में सेंध लगाने के लिए कमल नाथ के विश्वासपात्र कमलेश शाह को अपने पाले में करने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने बाकी नेताओं की तरह पद पर बने रहने के स्थान पर पहले विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया और फिर विधिवत भाजपा में शामिल हुए।

कांग्रेस पदाधिकारियों का कहना है कि यह उप चुनाव कांग्रेस और खासतौर पर कमल नाथ के लिए बहुत अहम है। प्रतिष्ठा भी उनकी ही दांव पर रहेगी क्योंकि लोकसभा चुनाव में उनमें बेटे नकुल नाथ को पराजय मिलने के बाद अब उनको पास वापसी का यह बड़ा अवसर है।
उधर, भारतीय जनता पार्टी कमलेश शाह को ही अमरवाड़ा विधानसभा से चुनाव लड़ाएगी। इसके लिए स्थानीय नेताओं के बीच सहमति बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के दौरे भी अगले सप्ताह से प्रारंभ हो जाएंगे।