शिप्रा नदी के घाट की दीवारों में दरारें.. खतरनाक स्थिति में  खड़े हैं विद्युत पोल ओर डीपी  पोल उखाड़कर नीचे गिरे तो कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

उज्जैन। शिप्रा नदी के घाट किनारे एक विद्युत डीपी नाजुक स्थिति में है । नदी पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग  स्नान के लिए पहुंचते हैं वही आने वाले दिनों में महाकाल की सवारी शुरू होने वाली है। सवारी के दौरान शिप्रा नदी के सभी घाट पर लोगों की भीड़ रहेगी ।लेकिन नदी के घाट लोगों के लिए  कितने सुरक्षित है इसका अंदाजा यहां खतरनाक स्थिति में खड़े विद्युत पोल और उन पर लगी विद्युत डीपी से लगाया जा सकता है। शिप्रा नदी के अस्तित्व को सुधारने के लिए प्रशासन पूरी कोशिश कर रहा है। लेकिन यहां कई ऐसी अव्यवस्थाएं भी फैली हुई है जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। क्योंकि यह छोटी  लापरवाही किसी भी दिन बड़े हादसे का कारण बन सकती है। पिछले कई समय से प्रशासनिक अधिकारी शिप्रा नदी के सभी घाटों का निरीक्षण कर यहां की हर समस्या को सुधारने में लगे हुए हैं। लेकिन स्थित है कि शिप्रा नदी के घाट की जो दीवारें हैं। उनमें दरारें पड़ने लगी है तथा मलबा घाट पर गिरने लगा है ओर दीवारों में दरार होने से ऊपर की जगह की मिट्टी धंस रही है यही पर विद्युत पोल पर  डीपी लगी है लेकिन खास बात यह है कि जिन विद्युत पोल पर यह डीपी लगी है वह पोल नाजुक स्थिति में है पोल कुछ हिस्से में ही टिके हुए हैं उन पोल का नीचे का कुछ हिस्सा ही मिट्टी में दबा हुआ है ऐसी स्थिति में किसी भी दिन यह विद्युत पोल डीपी सहित घाट पर  उखड़कर नीचे गिर सकते हैं जिससे बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन ईश्वर किसी का ध्यान नहीं है विद्युत मंडल की यह लापरवाही किसी भी दिन शिप्रा नदी के घाट पर स्नान के लिए आने वाले लोगों के लिए मुसीबत बन सकती है क्योंकि प्रतिदिन कई संख्या में लोग शिप्रा नदी में स्नान के लिए पहुंचते हैं और आने वाले दिनों में सावन के दौरान बाबा महाकाल की सवारी भी निकलने वाली है।  जब सवारी शिप्रा नदी के घाट पर पहुंचती है तो बड़ी संख्या में लोग घाटों पर पालकी के दर्शन करने के लिए मोजूद रहते हैं ऐसे में घाटों पर फैली अव्यवस्थाओं को सुधारना जरूरी है वही यहां नाजुक स्थिति में खड़ी डीपी को भी व्यवस्थित करना होगा। नहीं तो  कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। बारिश के दौरान और भी ज्यादा स्थिति बिगड़ सकती है । यहां खड़े विद्युत पोल पर जगह-जगह केबल लटकी हुई है जिससे करंट फैलने की भी संभावना बन सकती है। ऐसे ही एक बार पहले शिप्रा नदी के घाट पर करंट फैल गया था और उस दौरान हादसे में  कई पशुओं की मौत हो गई थी। उसके बाद यहां लगे विद्युत पोल व केबल को विद्युत मंडल के अधिकारियों ने हटवाया था। लेकिन उस हादसे के बाद यहां नाजुक स्थिति में खड़े विद्युत पोल व डीपी पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।