दो चार दिन कार्रवाई चली…फिर ढांक के तीन पात

अफसरों को फ्री हैंड फिर भी नहीं होती अवैधानिक गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई

उज्जैन। सूबे के सीएम डॉ. मोहन यादव ने जिले के अफसरों को भले ही फ्री हैंड दे दिया हो लेकिन बावजूद इसके जिले मंे होने वाली अवैधानिक गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है।

फिर भले ही चाहे लाउड स्पीकरों का मामला हो या फिर चाहे खुले में मटन मछली बेचने का मामला दिखाई के लिए दो-चार दिन कार्रवाई चलती है और फिर नतीजा ढांक के तीन पात हो जाता है। सुशासन को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सख्त हैं। उन्होंने कानून-व्यवस्था के मामले में अफसरों को फ्री हैंड दे रखा है। लेकिन विडम्बना यह है की मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश के बावजूद भी अधिकारी अवैधानिक गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करने से परहेज कर रहे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी अवैध गतिविधियों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

अफसरशाही की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में
दरअसल, जिस मामले में मुख्यमंत्री निर्देश देते हैं,उसके दो-चार दिन तक अफसरों की सक्रियता देखने को मिलती है। मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश मिलते ही लाउड स्पीकर, नर्सिंग घोटाला, खुले में मांस-मछली विक्रेताओं और रेत माफिया पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई। दिखावे के लिए दो-चार दिन कार्रवाई चली और फिर वही ढाक के तीन पात की स्थिति। बातें आई, गई हो गई और मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया। इससे अफसरशाही की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गई। बड़ा सवाल यह है कि अधिकारियों को नियम विरुद्ध कार्य करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री के निर्देशों का इंतजार क्यों करना पड़ रहा है? क्या उन्हें नजर नहीं आता कि अवैध रेत खनन-परिवहन हो रहा है, नियम विरुद्ध लाउड स्पीकर बज रहे हैं, खुले में मांस-मछली का विक्रय हो रहा है आदि। जिले सहित पूरे प्रदेश में 56 सरकारी विभाग हैं। यह संभव नहीं है कि मुख्यमंत्री अधिकारियों को एक-एक विभाग में नियम विरुद्ध चल रही गतिविधियों को लेकर कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर सकें। यह काम अफसरशाही का है। स्वत: संज्ञान लेना अफसरों का काम है। लेकिन वे ऐसा नहीं करते। यह संबंधित विभाग के अधिकारियों का काम है कि उनके विभाग में कुछ गलत हो रहा है, तो वे स्वयं सख्त एक्शन लें। अफसरशाही के रुख का देखकर कहा जा रहा है कि अगर अफसरों को यही मंजूर है तो सीएम इन बिंदुओं पर भी कार्रवाई के निर्देश दें। जिले में नियम विरुद्ध बसों का संचालन हो रहा है। अवैध शराब, गांजा बिक रहा है। राजस्व अमले की कार्यप्रणाली से सीमांकन, बटान, नामांतरण के लिए किसान परेशान है। गांवों में सरकारी अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था नहीं है, अस्पतालों में डॉक्टर नहीं मिलते। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर ठीक नहीं है, गांव के स्कूलों में शिक्षक नहीं पहुंचते।