250 साल में पहली बार उज्जैन में यजुर्वेद पारायण-वेद की मूल ऋचाओं का बटुक ब्राह्मण कर रहे सस्वर पाठ

दैनिक अवंतिका उज्जैन।  250 साल में पहली बार उज्जैन में यजुर्वेद पारायण का दिव्य अनुष्ठान किया जा रहा है। इसमें बटुक ब्राह्मण वेद की मूल ऋचाओं का सस्वर पाठ कर रहे हैं। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य वेद के मूल रूप का यथावत संरक्षण करना है।
श्री ललिता महात्रिपुरसुंदरी शक्ति पीठ आश्रम नृसिंह घाट उज्जैन में 25 दिवसीय शुक्ल यजुर्वेद का ऐतिहासिक घनपाठ वेदमूर्ति ऋषभ शर्मा द्वारा किया जा रहा है। एकाकी घनपाठ पारायण का आयोजन पिछले 250 साल में उज्जैन ही नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में ही पहली बार हो रहा है। वेद अध्ययन और पठन-पाठन की परंपरा काल और आक्रांताओं के प्रभाव से मध्यप्रदेश में अत्यंत न्यून हो गई थी।
 
इतना कठिन है वेद, 10 साल तक से 
10 घंटे रोज अभ्यास करना पड़ता है
साल 2010 के बाद से संत राजराजेश्वरी नृसिंह घाट वाले श्री राघवानंद महाराज के आशीर्वाद से वेदरत्न उमेश शर्मा ने उज्जैन में शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा का अध्ययन प्रारंभ किया। वेदमूर्ति ऋषभ शर्मा ने मध्यप्रदेश में शुक्ल यजुर्वेद का अध्ययन पूर्ण कर इस ऐतिहासिक एकांकी घन पारायण का आयोजन करने का संकल्प लिया था। इसे सीखने के लिए एक बालक को प्रतिदिन 8 से 12 घंटे न्यूनतम 10 साल अभ्यास करना होता है। एक वेद ऋचा का उच्चारण सामान्य: 40 से 60 सेकेंड में होता है।