आयुष्मान में “नाल” काट रहे निजी अस्पताल
– योजना में उपचार पैकेज के मान से स्वीकृत उसमें भी अस्पतालों ने ढूंढा कमाई का जरिया
आयुष्मान में “नाल” काट रहे निजी अस्पताल
-योजना में इंपेनल्ड निजी अस्पतालों में मापदंडों के पालन में कोताही बरतने की बातें भी
उज्जैन। आयुष्मान योजना में हितग्राही का उपचार पैकेज पद्धति में किया जाता है। योजना में अस्पतालों से अनुशंसित प्रकरणों को पैकेज के तहत स्वीकृति दी जाती है। इस पैकेज में से भी निजी अस्पताल “नाल” काटने का काम करने में देर नहीं करते हैं। मरीज को मिलने वाली सुविधा में कटोती कर दी जाती है। यूं कहे कि मूर्दे से कफन खिंचने की कहावत को चरितार्थ करने में कतिपय अस्पताल देर नहीं करते हैं।
आयुष्मान योजना के तहत प्रदेश में 22 मई की स्थिति में कुल 3 करोड 99 लाख 59 हजार 899 कार्ड जारी किए गए हैं। योजना में 38 लाख 82 हजार 673 हितग्राही लाभ ले चुके हैं। योजना के तहत उपचार के लिए प्रदेश में 513 निजी अस्पताल एवं 491 शासकीय अस्पताल इंपेनल्ड हैं। आयुष्मान कार्डधारियों का उपचार इन्हीं इंपेनल्ड अस्पतालों में किया जाता है।
ऐसे काटते हैं “नाल”-
सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि कतिपय निजी अस्पतालों में मरीज के पहुंचने पर उसके उपचार से पहले आयुष्मान कार्ड की जीवित अवस्था में देखा जाता है। उसके पश्चात उसकी बीमारी से संबंधित जानकारी को आनलाईन अस्पताल में कंपनी के कर्मचारी डालते हैं। उदाहरण के बतौर आयुष्मान कार्डधारी को अपेंडिक्स में परेशानी होने पर उसका आपरेशन किया जाना जरूरी होने पर उसकी पूरी जानकारी दी जाती है। इसके लिए आयुष्मान भारत योजना से स्वीकृति पैकेज के तहत दी जाती है। इस राशि का भूगतान अस्पतालों को क्लेम करने पर अधिकतम 30 दिन में आनलाईन होता है। पैकेज की राशि में से कई सारे मसलों पर अस्पताल खर्च बचा लेते हैं। इस तरह से पैकेज की राशि से “नाल” काटने का काम किया जाता है।
मापदंड के पालन में भी कोताही-
सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि आयुष्मान योजना में इंपेनल्ड होने के लिए निजी अस्पताल दस्तावेजी आधार पर भारत शासन द्वारा निर्धारित मापदंड की पूर्ति कर देते हैं। जिसमें एनएबीएच सम्बधता,
न्यूनतम 10 बिस्तर, नर्सिंग होम नियम 1972 का अनुपालन,सुपर स्पेशलिटी के लिए एनएचए द्वारा जारी सभी प्रासंगिक मानदंड की पूर्ति कर दी जाती है। वास्तविकता में भौतिक आधार पर इनका पूरी तरह से पालन नहीं किया जाता है। खर्चों में कटौती करते हुए इसमें कोताही बरती जाती है । इसे लेकर जिला स्तर पर भौतिक तौर पर जांच की स्थिति पिछले कई सालों में शून्य के स्तर पर ही सामने आ रही है।
लागत नियंत्रण के लिए है पैकेज सिस्टम-
आयुष्मान योजना में इलाज पर अस्पताल मनमाने तरीके से वसूली न कर सकें और लागत नियंत्रण करने के लिए इलाज संबंधी पैकेज दर तय किए गए हैं। ये पैकेज रेट सरकार ने पहले ही तय कर दिये हैं । आयुष्मान भारत योजना के रेट में इलाज संबंधी सभी तरह के (दवाई, जांच, ट्रांसपोर्ट, इलाज पूर्व, इलाज पश्चात के खर्चे) व्यय शामिल करते हुए यह पैकेज दर तय की गई है।
ऐसे मिलता है निजी अस्पतालों को भूगतान-
शासकीय एवं निजी चिकित्सायलय उपचार समाप्त होने के 10 दिवस के अंदर समस्त आवश्यक अभिलेखों एवं जांच रिपोर्टों सहित इम्लीमेंट सपोर्ट एजेंसी क्लेम आनलाईन भेजते हैं। एजेंसी आनलाईन क्लेम का 15 दिवस के अंदर परीक्षण कर अंतिम अनुशंसा सहित स्टेट हेल्थ् सोसायटी अर्थात “दीन दयाल स्वाथ्य सुरक्षा परिषद-निरामयम” को इसे भेजती है। परिषद द्वारा 05 दिवस के अंदर संबंधित चिकित्सालयों को आनलाईन माध्यम से उनके बैंक खातों में क्लेम का भुगतान करती है। क्ले्म संबंधी संपूर्ण प्रक्रिया 30 दिवस में ही पूर्ण हो जाती है।
ये है आयुष्मान की जिला समिति-
आयुष्मान की जिला क्रियान्वयन समिति में जिला कलेक्टर, जिला स्वासथ्य अधिकारी,जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला ई-गवर्नेस मैनेजर, जिला मिडिया अधिकारी, जिला कम्यूनिटी मोबिलाईजर को शामिल किया गया है। आयुष्मान से संबंधित किसी भी परेशानी के लिए संबंधित कार्डधारी हितग्राही इनसे संपर्क कर अवगत करवा सकता है।