नोटिस के जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आए डीईओ, कई तरह के बहाने बनाए

 

खराब रिजल्ट वाले प्राचार्य और शिक्षकों पर गिर सकती है गाज

इंदौर। गत सत्र में 10वीं और 12वीं की परीक्षा में खराब परिणाम वाले शिक्षकों व प्राचायों को नोटिस दिए गए थे, जिसके बाद उनके जो जवाब आए है, उनसे जिला शिक्षा अधिकारी संतुष्ट नजर नहीं आए है। समीक्षा बैठक में खराब परिणाम वाले स्कूल प्राचार्यों से जब जबाव मांगे गए तो उन्होंने कई बहाने बनाए।
ऐसे स्कूल प्राचार्यों गाज गिरना तय नजर आ रहा है। वहीं शिक्षकों को भी परिणाम भुगतने को कहा गया है। प्रदेश में शिक्षा के हब के नामों में इंदौर शहर पहले नंबर पर आता है, लेकिन यहां के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियां कमजोर होने से 10वीं-12वीं का परिणाम कमजोर आया था।

 

खराब परिणाम आने पर अधिकारियों ने समीक्षा बैठक बुलाई, जिसमें तकरीबन 100 प्राचार्य व शिक्षकों की वेतनवृद्धि रोकने की तैयारी की जा रही है। माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से इंदौर जिले के कक्षा 10वीं व 12वीं के परीक्षा परिणाम को लेकर अधिकारियों ने नाराजगी जताई थी। तकरीबन 1 महीने से कमजोर परिणाम वाले स्कूलों की समीक्षा की जा रही थी।

 

गत दिनों प्रीतमलाल दुआ सभागृह में दो दिवसीय समीक्षा बैठक का आयोजन भी जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास ने किया था। कक्षा 10वीं के तकरीचन 40 और 12वीं में 15 स्कूलों में बोर्ड कक्षाओं के परिणाम बेहद कमजोर रहे। विभाग की ओर से तकरीबन 100 प्राचार्य व शिक्षकों की सूची बनाई जा चुकी है और खराब परिणाम का जिम्मेदार इन्हें बताया जा रहा है।
समीक्षा बैठक की जानकारी भोपाल भेजना है। संभवतः शिक्षकों की वेतनवृद्धि रोकने के लिए अधिकारी प्रस्ताव बनाने पर विचार कर रहे हैं, जो भोपाल से मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा।
किसी ने कहा, शिक्षक नहीं है, तो किसी ने अतिथि शिक्षकों की गलती बताया।
कारण बताओ नोटिस खराब परिणाम वाले स्कूलों में भेजे गए थे, जिसके बाद जिनके जवाब आए है, उनके जवाबों की समीक्षा की जा रही है और क्या उनके कारण सही है, उसकी जांच की जा रही है।
यदि खराब रिजल्ट का कारण रहीं पाया जाता है तो ऐसे प्राचार्य व शिक्षकों को राहत मिल सकती है। लेकिन यदि सभी सुविधाएं होने के बाद भी परिणाम अच्छा नहीं दे सकें हो तो उन्हें समस्या हो सकती है।
जैन ने बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से प्रीतमलाल दुआ सभागृह में रखी गई दो दिवसीय समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों ने शिक्षकों से कारण जाने कि स्कूलों में विद्यार्थियों के परिणाम बेहतर क्यों नहीं रहे, तो शिक्षकों का कहना था कि स्कूल में बचों की उपस्थिति सालभर कम रहती है।

 

शिक्षकों की कमी होने से भी परिणाम प्रभावित हुआ है। इसके साथ ही शिक्षकों का यह भी कहना रहा कि अतिथि शिक्षक बच्चों को उनकी भावना के अनुरूप ठीक से अध्ययन नहीं करा पाए, जिससे बच्चे विषय-वस्तु समझने और अध्ययन करने में पिछड़ गए।
किसी ने कहा कि गांव में टीचर नहीं आते है, तो किसी ने बच्चों की उपस्थिति नहीं रहती है का बहाना बनाया। किसी ने कहा कि इस बार परीक्षा जल्दी हो गई तो किसी ने कहा इस बार प्री-बोर्ड परीक्षा नहीं हुई इसलिए परिणाम अच्छे नहीं आए।