नाबालिग बेटी पिता को अपना लिवर दे पाएगी या नहीं..! आज हाई कोर्ट इंदौर बेंच करेगी तय
इंदौर। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ आज तय कर सकती है कि नाबालिग बेटी बीमारी से जूझ रहे पिता को अपना लिवर दे सकती है या नहीं। पिता के जीवन के लिए लिवर ट्रांसप्लांट जरूरी है। बेटी अपना लिवर देने के लिए तैयार भी है। मगर, कानूनी पहलू यह है कि वह नाबालिग है।
नाबालिग होने की वजह से डॉक्टरों ने उसका लिवर पिता को ट्रांसप्लांट करने से इंकार कर दिया है। बेटी को बालिग होने में अभी दो माह शेष हैं। मगर, पिता की हालत ऐसी नहीं है कि वह लिवर ट्रांसप्लांट के लिए इतने समय तक इंतजार कर सके।
यह है पूरा मामला
इंदौर के ग्राम बेटमा निवासी 42 वर्षीय शिवनारायण बाथम छह वर्षों से लिवर की बीमारी से पीड़ित हैं। डॉक्टरों का कहना है कि लिवर ट्रांसप्लांट ही उनका इलाज है, लेकिन कोई डोनर नहीं मिल रहा। हालत बिगड़ने के बाद हाल ही में उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हुआ तो जान को खतरा
वहां डाक्टरों ने कह दिया है कि जल्दी से लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हुआ तो जान को खतरा है। शिवनारायण की पत्नी भी लिवर देने को तैयार है, लेकिन वह मधुमेह से पीड़ित है। ऐसी विकट परिस्थिति में नाबालिग बेटी प्रीति सामने आई, लेकिन डाक्टरों द्वारा इन्कार करने पर परिवार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
कोर्ट से लगाई यह गुहार
एडवोकेट नीलेश मनोरे के माध्यम से प्रस्तुत याचिका में कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि शिवनारायण की जान बचाने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट जरूरी है और उनकी बेटी प्रीति लिवर देने को तैयार है, उसे इसकी अनुमति दी जाए। कोर्ट ने शासन से कहा कि वह मंगलवार को इस मामले में रिपोर्ट प्रस्तुत करे। मंगलवार को ही कोर्ट यह तय कर सकती है कि प्रीति को अपना लिवर पिता को देने की अनुमति मिलेगी या नहीं।
पांच बेटियां, सबसे बड़ी है प्रीति
किसान शिवनारायण की पांच बेटियों में प्रीति सबसे बड़ी है। पिता के बीमार होने पर वही उनकी देखभाल कर रही है। शासकीय डिग्री महाविद्यालय से पढ़ाई भी कर रही है। इज न्यायमूर्ति बीके द्विवेदी की बेंच में इस मामले में सुनवाई होना है।