क्षिप्रा नदी के पानी से स्किन कैंसर का खतरा, कांग्रेस अध्यक्ष पटवारी बोले- आचमन लायक भी नहीं

 

इंदौर/उज्जैन। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एक्स हैंडल पर उज्जैन की क्षिप्रा नदी के पानी की शुद्धता पर बड़ा सवाल उठाते हुए उज्जैन निवासी प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दावे को पाखंड करार दिया है। पटवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र उज्जैन में क्षिप्रा नदी का पानी अब आचमन लायक भी नहीं है। इस पानी में ऐसे तत्व हैं, जो इंसानों के साथ जलीय जीव-जंतुओं के लिए भी हानिकारक हैं। उज्जैन में भगवान महाकाल के दर्शन करने और महाकाल लोक बनने के बाद लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।

 

पटवारी ने कहा कि जब क्षिप्रा जल की वैज्ञानिक जांच करवाई तो तब यह खुलासा हुआ। इसमें दत्त आश्रम और रामघाट के पानी की जांच रिपोर्ट चौंकाने वाली आई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस पानी में लगातार स्नान से स्किन कैंसर होने का खतरा है। पटवारी ने कहा कि ये भी वही रामघाट है, जहां सबसे ज्यादा श्रद्धालु स्नान करने पहुंचते हैं। सारे कर्मकांड और विधि-विधान भी यहीं संपन्न किए जाते हैं। कई श्रद्धालु पहले रामघाट पहुंचकर क्षिप्रा में स्नान करते हैं, फिर महाकाल के दर्शन के लिए जाते हैं।

भोपाल नगर निगम की वाटर टेस्टिंग लेबोरेटरी से हुई जांच

कांग्रेस अध्यक्ष पटवारी ने कहा कि पानी सैंपल की जांच भी भोपाल नगर निगम की वाटर टेस्टिंग लेबोरेटरी से करवाई गई है। ताकि सवाल उठने के बाद किसी को यह कहने का मौका न मिले कि प्रदेश की भाजपा सरकार और उज्जैन को बदनाम करने के लिए इस तरह की कोशिश की गई है। लोकसभा चुनाव के दौरान उज्जैन से कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार ने क्षिप्रा में डुबकी लगाकर आरोप भी लगाए थे कि इस पवित्र नदी का पानी गंदा है। सफाई पर सरकार का ध्यान नहीं है। इसके बाद मुख्यमंत्री जी आपने भी मां क्षिप्रा में डुबकी लगाकर यह जताने की कोशिश की थी कि यह पवित्र जल पवित्र ही है। लेकिन अपवित्र को पवित्र दिखाने का आपका पाखंड एक बार फिर देश-प्रदेश की जनता के सामने आ चुका है।

पटवारी ने मुख्यमंत्री को घेरा

पटवारी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि देश की सबसे पवित्र नदियों में शामिल शिप्रा की इस स्थिति पर अब मुख्यमंत्री फिर से कुछ कहने का साहस कर पाएंगे। अब बात अलग है कि सरकार की लूटी हुई लाज बचाने के लिए फिर से आप क्षिप्रा जी में डुबकी लगा लें। यदि मन हो तो आप फिर से डुबकी जरूर लगाएं, लेकिन जब बाहर आएं, तो यह विश्वास भी दिलाएं कि क्षिप्रा जी की पवित्रता आपके दावे जितनी ही शुद्ध होगी। वैसे मुझे तो संदेह ही रहेगा, क्योंकि मैं ऐसे तमाशे पहले भी कई बार देख चुका हूं।