उमंग सिंघार और अरुण यादव लगातार पटवारी को डंप करने में लगे, अपनो की ही चुनौती पर खरे उतरना मुश्किल

 

कांग्रेस के संघठन की बुरी हालत के लिए आखिर कौन है जिम्मेदार ?

इंदौर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी पीसीसी लग गए हैं। उनकी कोशिश है कि सभी को साथ में लेकर चला जाए ,लेकिन फिलहाल ऐसा होते नहीं दिख रहा है। पार्टी के भीतर उन्हें चुनौतियां मिलने लगी हैं। खासकर निमाड़ अंचल की कांग्रेस राजनीति में घमासान की खबरें छनकर आ रही हैं।

 

सूत्रों के अनुसार अरुण यादव और उमंग सिंघार नए सिरे से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ मोर्चे बंदी कर रहे हैं। अरुण यादव के कुछ समर्थकों ने इस आशय के बयान भी दिए हैं। उधर उमंग सिंघार और जीतू पटवारी के बीच तनातनी विधानसभा चुनाव के बाद से ही जारी है। लोकसभा चुनाव के समय टिकट वितरण के दौरान दोनों में गंभीर मतभेद सामने आए थे।

 

राहुल गांधी ने अपनी शहडोल की सभा में दोनों को साथ में बिठाकर समझने की कोशिश भी की थी इसके बावजूद यह तनातनी अभी तक जारी है। नेता प्रतिपक्ष होते हुए भी उमंग सिंघार जीतू पटवारी द्वारा बुलाई गई बैठकों में अक्सर अनुपस्थित रहते हैं। अरुण यादव और जीतू पटवारी के बीच अनबन का भी पुराना इतिहास है। लोकसभा चुनाव में करारी पराजय के बाद अब अरुण यादव चाहते हैं कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी हार की नैतिक जवाबदारी लेकर पद छोड़ें।

 

सूत्रों का कहना है कि जीतू पटवारी के खिलाफ चलाए गए अभियान के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का हाथ है। दिग्विजय सिंह के इशारे पर ही पिछले दिनों अजय सिंह ने जीतू पटवारी के खिलाफ बयान दिया था। अरुण यादव को भी दिग्विजय सिंह का समर्थक माना जाता है। अरुण यादव चाहते थे कि उन्हें गुना से लोकसभा उम्मीदवार बनाया जाए ताकि वह ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुकाबला करके राष्ट्रीय मीडिया में अपना नाम चमका सके। इसके अलावा अरुण यादव ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष चुनाव लड़कर गांधी परिवार का विश्वास भी जीतना चाहते थे लेकिन जीतू पटवारी ने उनकी इस इच्छा को पूरा नहीं होने दिया।
जीतू पटवारी चाहते थे कि अरुण यादव गुना की बजाय खंडवा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े जहां से 2009 में वह एक बार निर्वाचित हो चुके हैं। अरुण यादव ने ऐसा करने से मना कर दिया। हालांकि इमरती देवी के खिलाफ बयान देने के प्रकरण में अरुण यादव ने खुलकर जीतू पटवारी का बचाव किया था लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद और उनके तेवर बदल गए।

 

सूत्रों का यह भी कहना है कि अरुण यादव जीतू पटवारी के समक्ष दबाव बनाना चाहते हैं जिससे उनके समर्थकों को अधिक से अधिक स्थान पीसीसी में मिले और उनके समर्थक खरगोन खंडवा बुरहानपुर बड़वानी जैसे जिलों में संगठन के महत्वपूर्ण पद पर आ सकें।
कुल मिलाकर निमाड़ कांग्रेस में भीतरी घमासान है। मध्य प्रदेश में निमाड़ अंचल उन कुछ क्षेत्र में आता है जहां कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया। खरगोन और बड़वानी जैसे जिले में तो कांग्रेस का प्रदर्शन या तो भाजपा से अच्छा रहा या भाजपा के टक्कर का रहा।
धार संसदीय क्षेत्र की कुक्षी विधानसभा और मनावर विधानसभा में भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की इन दोनों विधानसभाओं को निमाड़ अंचल के अंतर्गत माना जाता है। जाहिर है यदि निमाड़ में कांग्रेस एकजुट होकर मैदान में नहीं आई तो फिर यहां उसकी वापसी आसानी से नहीं होगी। इसलिए क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अरुण यादव उमंग सिंघार और जीतू पटवारी के बीच चल रही तनातनी को पार्टी के लिए अच्छा नहीं मानते।