महंगाई के कारण ’हवा’ हुई दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ….जैसी कहावत
महंगाई की मार…क्या करें आम और खास
आटा दाल से लेकर आलू और टमाटर…सब महंगे
थाली को महंगा करने में आलू-प्याज भी
थाली को मंहगी करने में आलू-प्याज भी आटे-दाल का साथ बखूबी निभा रहे हैं। हालांकि तेल और शक्कर ने कुछ राहत दी है। बीते जून में प्रदेश के आम खेरची बाजार में गेहूं का आटा 27 रुपये प्रति किलो जबकि दालें 80 से 150 रुपये प्रति किलो के दाम पर बिक रही थी। आम चुनाव के मौसम में खाद्य पदार्थों की बढ़ी हुई महंगाई सिस्टम पर भी सवाल खड़ा कर रही है। आलू-प्याज के दाम भी बीते साल जून में मौजूदा दामों के मुकाबले करीब आधे थे। बीते साल दिवाली के आसपास आटा तीन हजार रुपये से ऊपर बिका तो सरकार ने नियंत्रण के कदम उठाए थे। अभी त्योहार की मांग भी नहीं है लेकिन नई फसल के गेहूं की मंडियों में आवक कम है ऐसे में दाम बढ़ रहे हैं। खेरची बाजार में तुवर दाल 180 से 200 रुपये किलो बिक रही है। चना दाल 86 से 110 रुपये किलो और मूंग दाल 105 से 130 रुपये किलो तक बिक रही है। सबसे सस्ती दालों में शुमार होने वाली मसूर दाल के दाम भी 85 से 100 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। बीते वर्ष के तुवर दाल उपभोक्ता के लिए करीब 60 रुपये किलो और चना दाल भी 30 रुपये किलो तक महंगी हुई है। देश में दलहन का उत्पादन कम हुआ है। भारत दालों के आयात पर निर्भर है। देश की कमी का लाभ उठाते हुए प्रमुख निर्यातक म्यांमार के साथ अफ्रीकी देशों और आस्ट्रेलिया व कनाडा के उत्पादकों ने दाम बढ़ा दिए हैं। ऐसे में महंगाई बढ़ रही है। खेरची बाजार में दालों पर प्रति किलो पर 25 रुपये प्रति किलो तक का मुनाफा कारोबारी वसूल रहे हैं। एक ओर आटा-दाल-सब्जियां सब महंगे हुए हैं लेकिन शक्कर ( और खाद्य तेल ने ही इस साल परेशान नहीं किया है। खेरची बाजार में रसोई की इन दोनों जरूरी वस्तुओं के दाम स्थिर हैं। शक्कर खेरची बाजार में 43 रुपये किलो और सोयाबीन तेल के दाम 105 से 110 रुपये लीटर है।