अवैध खनन पर निरंतर प्रहार… फाइलों में बंद पड़ी खदान पर अवैध खनन का खेल

 

 

 

इंदौर। अवैध खनन को लेकर इंदौर प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है मगर बंद पड़ी खदानों से मुरम और गिट्टी खनिज की कालाबाजारी प्रशासन के लिए एक चुनौती के रूप में सामने है। दरअसल बंद पड़ी खदानों की जानकारी खनिज विभाग के पास होती है मगर इसकी जानकारी बड़े पद पर बैठे अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाती, नतीजा धड़ल्ले से बंद खदानों पर खनन चलता रहता है और प्रशासन को राजस्व की लगातार क्षति पहुंचती है।
मामला देपालपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम राजपुरा का है, जहां शासकीय जमीन पर अवैध खनन चल रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार खनिज विभाग की फाइलों में यह खदान बंद है सर्वे नंबर 153 पर आवंटित खदान को लेकर लाखों रुपए का डेड किराया बकाया है जिसके कारण खदान की रॉयल्टी बंद कर दी गई है।
विभाग द्वारा रॉयल्टी बंद करने का अर्थ, अब खदान से निकलने वाली गाड़ियों की रॉयल्टी नहीं कट पाएगी और बिना रॉयल्टी के निकलने वाले खनन को अवैध परिवहन की श्रेणी में लिया जाता है। विभाग की फाइलों में बंद खदानों से अवैध खनन प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है इंदौर शहर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की सालों से कई बंद पड़ी खदानें हैं जहां से लगातार अवैध खनन हो रहा है।

सड़क किनारे खुली खदान, बड़ी लापरवाही…

विशाल खुली गड्ढे वाली खदानें आसपास के गांव वालों और राहगीरों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। देपालपुर तहसील के ग्राम माचल से राजपुरा की ओर रास्ते में खुलो गहरे गड्ढे वाली खदान यही संकेत दे रही है। प्रतिदिन सैकड़ो लोगों का आवागमन इसी रास्ते से होता है।
न तो सड़क किनारे तार फेसिंग नजर आती है और न ही खदान को लेकर कोई संकेत चिन्ह जो राहगीरों को खदान को लेकर सूचना प्रदान करें। बारिश से पहले यदि इन खुली खतरनाक खदानों की सुरक्षा का इंतजाम नहीं होता है तो यह किसी भी दिन बड़ी दुर्घटना को आमंत्रित कर सकती है। शहर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे खनन से बड़े और गहरे गड्डों का निर्माण हो जाता है जिसे खदान संचालक गिट्टी और मुरम निकालने के बाद ऐसे ही खुला छोड़ देते हैं जो राहगीरों के लिए किसी भी समय खुले गहरी गड्ढे वाली खदानों में गिरने के खतरे को आमंत्रित कर रहा है।
खदान संचालकों के लिए तो यह सामान्य बात है खनन कर्ताओं को शायद ही आम जन की जान की चिंता हो मगर प्रशासन के लिए यह महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि हर नागरिक की सुरक्षा की जिम्मेदारी उन्हीं पर आती है। खुली खदानों को लेकर जल्द ही दैनिक इंदौर संकेत अपनी जिम्मेदारी को निभाएगा और ऐसी खुली जानलेवा खदानें जिन्हें प्रशासन आज तक नहीं देख पाया है या देखने से बच रहा है उन्हें प्रशासन और जनता के सामने लाएगा।
इंदौर खनिज विभाग में कर्मचारियों को कमी अवैध खनन को रोकने में नाकामयाब साबित हो चुकी थी मगर कलेक्टर आशीष सिंह के आते ही अवैध खनन कर्ताओं में एक डर का माहौल पैदा हो गया है इसीलिए चुपचाप बंद पड़ी खदानों से अवैध खनन किया जा रहा है। बिना रॉयल्टी खनन से माफियाओं को लाखों रुपए की आमदनी होती है इसलिए अवैध उत्खनन का कारोबार दिन-रात फलता-फूलता रहता है।