कलेक्टर ने दस्तक अभियान की हिमोग्लोबिन मापने की गुणवत्ता परखी
-बोले दस्तक अमूल्य जिंदगियां बचाने और स्वस्थ जीवन देने का अभियान है
-घर-घर सर्वे के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रत्येक घर में बच्चे की 20 से 25 मिनट अच्छे से जांच करें
उज्जैन । दस्तक मात्र डाटा कलेक्शन का अभियान नहीं है। इस अभियान के पीछे जिले के अमूल्य बच्चों का जीवन है, जिसे बचाना है और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य उपलब्ध कराना है। ताकि वे अपने जीवन की हर संभव ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकें। 5 वर्ष तक की आयु के बच्चों की जांच में लापरवाही से जिले में एक भी बच्चे की मृत्यु ना हो और ना ही कोई कुपोषण का शिकार रहे। सर्वे में कोई बच्चा न छूटें। धरातल पर उतरकर वास्तविक सर्वे कर रिपोर्ट की जाए। ताकि उन बच्चों को ट्रैक कर उन्हें उचित स्वास्थ्य लाभ दिया जा सकें।
यह बात उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने शुक्रवार को सभी ब्लॉक्स में आयोजित दस्तक अभियान के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हो सभी बीएमओ, सीडीपीओ ,समस्त एएनएम, आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कहीं। कलेक्टर ने जिले का सघन भ्रमण कर सभी ब्लॉक में आयोजित प्रशिक्षण में बारी-बारी से शामिल हुए।
खूद की जांच करवा गुणवत्ता परखी-
कलेक्टर श्री सिंह ने महिदपुर में आयोजित प्रशिक्षण के दौरान एएनएम कार्यकताओं से हीमोग्लोबिनो मीटर चलवाकर हीमोग्लोबिन मापने की प्रक्रिया का अवलोकन किया। उन्होंने स्वयं की जांच करवाकर हिमोग्लोबिन मापने की गुणवत्ता भी परखी।
कलेक्टर श्री सिंह ने प्रशिक्षण को संबोधित करते हुए कहा कि दस्तक अभियान में निर्धारित लक्ष्य की तुलना में शत प्रतिशत सर्वे कर उपलब्धि हासिल करना उद्देश्य नहीं हैं बल्कि प्रत्येक सर्वे के पीछे निहित एक एक बच्चों की जांच कर उनमें कुपोषण,जन्मजात विकृतियों,एनीमिया , विटामिन ए के अनुपूरक आदि कमियां पाए जाने पर उन्हें त्वरित बेहतर उपचार उपलब्ध कराना और निरंतर फॉलोअप करना है।
घर जाकर जांच करें,आंगनवाडी में न बुलाएं-
दस्तक अभियान के तहत सभी एएनएम ,आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने क्षेत्र के 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों के घर जाकर जांच करें। बच्चों के अभिभावकों को आंगनबाड़ी या स्वास्थ्य केंद्र पर ना बुलाए। स्वयं जाकर उनके घरों पर जांच करें। जांच के दौरान जल्दबाजी न करें। 20 से 30 मिनट बच्चों की अच्छे से दिए गए उपकरणों से हिमोग्लोबिन, ऊंचाई सहित अन्य आवश्यक जांच करें और उसके स्वास्थ्य के संबंध में अभिभावकों से भी चर्चा की जाएं। दस्तक अभियान में चिन्हित बच्चों का निरंतर फॉलोअप किया जाए। उन्होंने सख्त हिदायत दी कि दस्तक अभियान में सर्वे पूरी गंभीरता से किया जाए। बच्चों की जानकारी निर्धारित फॉर्मेट में सही से इंद्राज करें। सही से जानकारी नहीं रिपोर्ट करना सबसे बड़ी लापरवाही है। अगर कोई भी कुपोषित बच्चा अभियान में छूटता है तो यह उसके आगमी जीवन में दुष्प्रभाव डालेगा।
क्रास वेरिफिकेशन करवाएंगे-
इसलिए सभी कुपोषित, एनीमिया, जन्मजात विकृतियों के दस्तक अभियान में चिन्हित करें। किए गए सर्वे के आधार पर ही हम बच्चों का साल भर निरंतर फॉलो अप कर बीमारियों से बाहर निकाल सकेंगे। एएनएम आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा किए सर्वे का क्रॉस वेरिफिकेशन करवाया जाएगा। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अपने क्षेत्र के सभी बच्चों के नाम सहित स्वास्थ्य की जानकारी होना चाहिए।
पहले पिछले साल मिले बच्चों की जानकारी ली-
कलेक्टर ने सभी जनपदों के भ्रमण के दौरान सबसे पहले पिछले वर्ष के दस्तक अभियान में चिन्हित विभिन्न बीमारियों से ग्रसित बच्चों और उनकी वर्तमान स्वास्थ्य की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने इंगोरिया में ग्राम अकोलिया और कल्याणपुर के गंभीर एनीमिया के चिन्हित बच्चों और ब्लॉक खाचरोद में ग्राम नवातीया के प्रीति चौहान ,ग्राम पालना की गुड्डू कुलेश्वरी और वार्ड 21 की सावया फिरदौस , नंदासिया तथा ब्लॉक महीदपुर में ग्राम घाटखेड़ी की लक्ष्मी संजय आदि कुपोषित बच्चों के वर्तमान स्वास्थ्य और उनके फॉलोअप की जानकारी ली। उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा 05 वर्ष से कम आयु के बच्चों की बाल मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से संचालित दस्तक अभियान के वास्तविक महत्व के संबंध में जानकारी दी और इस पुनीत अभियान में पूरी तन्मयता से जुटने के लिए प्रेरित किया।
ये थे साथ में-
इस दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी उज्जैन डॉक्टर अशोक कुमार पटेल, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग साबिर एहमद सिद्दीकी सहित संबंधित अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, सीडीपीओ, बीएमओ सहित संबंधित क्षेत्र के एएनएम, आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मौजूद रहें।