100 करोड़ की सरकारी जमीन बेचने वालों के सर पर किसका हाथ !

सरकारी जमीन हड़पने की होड़ : प्रशासनिक कार्रवाई के बावजूद नहीं रुका, अवैध खरीदी बिक्री का खेल…

 

इंदौर । सरकारी जमीन में चल रहे कब्जे के गोरख धंधे की परतें सामने आ चुकी है। दोषी पटवारी और अफसर तथा जालसाजों को सलाखों के पीछे भेजने की प्रशासन की नियत साफ दिख रही है मगर इसके आगे राजनीतिक अड़चनें खड़ी हो गई है।
सवाल उठ रहा है कि सरकारी कब्जे वाली जमीन को बेचने का मौका, देने वालों पर कार्रवाई कौन करेगा ? यह इसलिए लिहाज से महत्वपूर्ण प्रश्न हो गया है, क्योंकि तहसील भिचौली हप्सी ग्राम असरावदखुर्द के शासकीय तालाब के पास लगी सरकारी भूमि बेचने वालों के खिलाफ प्रशासन पहले ही पुलिस केस दर्ज करवा चुका है उसके बाद भी लगातार असरावदखुर्द की सरकारी जमीन सर्वे क्रमांक 17,18,19, 37,171,172 के भू- भाग पर प्लॉट काटते हुए नोटरी के माध्यम से बेचा जा रहा है।
इस गोरख धंधे में नोटरी करने वाले को जुगाड़-बाजी से कागज पर दिखाया जाता है और दो-दो हजार के लालच में नोटिरी करवा दी जाती हैं ताकि असली भू माफिया बचकर निकल सके और नोटरी पर विक्रेता के रूप में दिखने वाले व्यक्ति पर कार्रवाई का खेल खेला जा सके ताकि असली खिलाड़ी पकड़ा ना जाए। पूर्व सरपंच ने दैनिक अवंतिका को बताया कि 2010 से आज दिनांक तक लगभग 1500 से अधिक प्लॉट सरकारी जमीन पर बेचे जा चुके हैं।
2-3 लाख से शुरू हुई प्लॉट की सौदेबाजी अब 8-10 लाख के ऊपर पहुंच चुकी है।

दो-दो हजार के लालच में डमी कर रहे नोटरी —
असरावद खुर्द की सरकारी जमीन पर बेधड़क प्लाटिंग की जा रही है और प्लाट बेचने के लिए डमी लोगों को खड़ा किया जा रहा है जो दो 2-2 हजार के लालच में प्लॉट की नोटरी कर रहे हैं अधिकतर नोटरी अमरचंद पिता सीताराम, पूनम चंद, सुमित, कमल के नाम से की जा रही है।
यह पूरा खेल सरकारी जमीन पर आवंटित पट्टे की जमीन पर शुरू होकर तालाब के पास की सरकारी जमीन तक जा पहुंचा है। रूपयों के लालचियों ने तालाब की जमीन को भी नहीं बख्शा और प्लाट काट कर बेचना शुरू कर दिए हैं आज भी प्रशासन की नाक के नीचे सरकारी जमीन पर प्लाट काट कर बेचे जा रहे हैं।

सरकारी जमीन के सौदेबाजी की पूरी कहानी…

* असरावद खुर्द के सर्वे नंबर 18 की सरकारी जमीन पर वर्ष 2010 से 2015 के बीच लगभग 150 से अधिक प्लाट काट कर बेचे गए, प्लॉट खरीदने वाले अधिकतर गरीब वर्ग के लोग थे इस दौरान पप्पू राजोरिया की पत्नी पिंकी असरावद खुर्द की सरपंच रही।
लगभग 3 एकड़ की सरकारी जमीन पर भू माफिया की मनमर्जी चली, जिस भूमि को आवारा पशुओं को रखने के लिए आरक्षित किया गया था उसके टुकड़े करके लाखों में बेच दिया गया।

* पट्टे की जमीन सर्वे क्रमांक 37/1/1/3 पर अवैध कॉलोनी काट दी गई जो कभी पूर्व सरपंच पति के ससुर के नाम थी। जमीन मांगीलाल से होते हुए गुलाब राय तक पहुंची और वापस लौट कर सवा एकड़ से 5 एकड़ की जमीन पर अवैध कॉलोनी काट दी गई। एक से अधिक बार पट्टे की जमीन बिक गई और जवाबदारो को भनक तक नहीं लगी।

* वर्ष 2010-15 के लगभग मांगीलाल को जारी अस्थाई 2.5 एकड़ के पट्टे पर सैकड़ो की संख्या में बने मकान जवाबदारों की
दशकों से बिक रही सरकारी जमीन को रोकने के लिए प्रशासन ने अब तक क्या किया….

असरावद खुर्द की तालाब से लगी खंडवा रोड के बीच में बेशकीमती सरकारी जमीन पर नोटरी के प्लॉट बेचने की शिकायत प्रशासन को पिछले कई वर्षों से मिलती आ रही है।
सरकारी जमीन हड़पने वालों पर कार्यवाही भी हुई, पुलिस केस भी दर्ज किया गया और कई बार गरीबों के मकान भी तोड़े गए मगर आज दिनांक तक प्लाट बेचने वालों से प्लॉट खरीदने वालों को पैसे वापस नहीं दिलवाए गए। जिनके घर तोडे गए उनके लिए नेताजी के फोन भी बजे कि गरीबों का घर मत तोड़ो मगर नेताजी यह भूल जाते हैं कि इन्हीं गरीबों को लाखों रुपए में प्लॉट बेचे गए जिसका कुछ हिस्सा उनके गुर्गे तक भी पहुंचा।
जो कभी टापरी में रहते थे वह आज सरकारी जमीन पर प्लॉट बेचकर करोड़ों में खेलते हैं, महंगी महंगी कारों में घूमते हैं मगर उनकी संपत्ति कुर्क करके प्राप्त पैसा पीडितों को दिलाने का काम प्रशासन ने आज दिनांक तक नहीं किया। बता दें कि गरीबों के साथ हुए इस धोखाधड़ी के मामले को दैनिक इंदौर संकेत ने कई बार प्रशासनिक गलियारों में उठाया है।

सजकता का प्रमाण दे रहे हैं। जिसमें से 38000 स्क्वायर फीट की अस्थाई पट्टा की जमीन अलग से बेच दी गई।

* छोटू सिंह पिता कालू सिंह और उनकी पत्नी के नाम पर 2 एकड़ का पट्टा जारी किया गया था। जमीन का पावर कमल अहिरवार को करके इस जमीन पर अवैध प्लाटिंग करके संदीप सरकारी जमीन बेच खाया और सरकारी भूमि सर्वे नंबर 171 और 172 पर कमल के नाम से नोटरी करवाते हुए सरकारी जमीन पर प्लॉट बेचने का खेल धड़ल्ले से खेला गया।