वार्डन जी. एल प्रजापति का गजब कारनामा, सेवाएं निजी विश्विद्यालय में दी, वेतन देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से ले लिए

 

 

 

वित्तीय विभाग ने संदिग्ध रूप से कर दिए वेतन भुगतान

 

इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में सेटिंगबाज तरीके से शासन के राजस्व को क्षति पहुंचाई, और एकाउंटेंट ने वेतन फर्जी दस्तावेज के आधार पर वेतन भुगतान करवा दिया।
शिक्षा के मंदिर के पुजारी की नियत ही जब घपले-घोटाले करने की हो जाए, तो उस शिक्षा की मंदिर में निश्चित घोटाले की अंबार लगना लाजमी है।
जब ऐसे लोग मोटी रकम कमाने के लिए ही नौकरी कर रहे हो तो लोगो को शिक्षा कैसे प्रदान करवाने में सफल होंगे। दरअसल पूरा मामला यह है कि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में पदस्थ वार्डन जीएल प्रजापति कार्यरत हैं।

डीएवीवी में पदस्थ रहने के पदस्थ रहने के बावजूद उन्होंने स्वामी विवेकानंद निजी महाविद्यालय में शासन के गाइडलाइंस के अनुसार निजी संस्थान में अपनी पदस्थापना करवा ली थी, जिसके पश्चात डीएवीवी की गाइडलाइंस के अनुसार पत्र जारी करते हुए शर्त को पालन करने की बात कही गई थी, शर्त यह थी कि जीएल प्रजापति की पदस्थापना को स्थानांतरण इसी शर्तानुसार किया जा रहा है कि जब तक निजी महाविद्यालय में सेवाए दी जावेगी। तब तक का वेतन भुगतान डीएवीवी विश्विद्यालय के द्वारा किसी भी तरह से भूगतान नहीं किया जाएगा, लेकिन यहां तो शासन के गाइडलाइंस के विपरीत ही एकाउंटेंट एवं कार्यालय मैनेजमेंट के द्वारा फर्जी तरीके से नियम विरुद्ध निजी महाविद्यालय में सेवाकाल का वेतन भुगतान कर दिया गया है।
अब सवाल यह उठता है कि यह कैसे और किनके कहने किया गया है जो कि जांच का विषय है।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर ने इसी शर्त पर स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय को जीएल प्रजापति की सेवा सौंपी गई थी, कि निजी महाविद्यालय में सेवाएं- काल तक शासन वेतन भुगतान नहीं करेगी, लेकिन सेटिंग बाज वार्डन प्रजापति ने नियम विरुद्ध तरीके से वेतन भुगतान करवा लिया।
जीएल प्रजापति के साथ अधिकारियों की साठगांठ, निजी सेवाकाल को डीएवीवी विश्विद्यालय में पदस्थापना काल जुड़वाकर वेतन, एरियर में भी घोटाला कर दिया गया।
जीएल प्रजापति के द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से उपस्थित पंजीयन को चुनौति देकर पहले उक्त रिकॉर्ड से छेड़खानी की गई और फर्जी तरीके से नियम विरुद्ध वेतनवृद्धि, एरियर प्राप्त कर लिया गया है और साथ ही वार्डन जीएल प्रजापति ने शासन के गाइडलाइंस के विपरीत अपने सेवा अवधि संबंधी व आर्थिक लाभ प्राप्त कर लिया है।
साथ ही इस घोटाले के खेल में फर्जी दस्तावेज़ लगवाकर गड़बड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। शासन के गाइडलाइंस के विपरीत कदम उठाते हुए फर्जी तरीके से वेतन वृद्धि, एरियर से संबंधित मामले पर निष्पक्ष जांच करवाकर कार्यवाही करने के लिए शिकायतकर्ता संदीप राठौर के द्वारा शासन को पत्राचार किया गया ,लेकिन शिकायत दर्ज करवाने के बावजूद भी शासन ने इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की है।