आसान नहीं था भय्यू महाराज के गुनहगारों तक पहुंचना, इंदौर पुलिस ने कर दिखाया

एक-एक कड़ी जोड़ने के लिए करनी पड़ी मशक्कत

ब्रह्मास्त्र इंदौर। भय्यू महाराज की आत्महत्या का मामला बहुचर्चित होने के साथ बहुत विकट भी था। उनके करीब रहने वाला लगभग हर व्यक्ति कठघरे में था। ऐसे में भय्यू महाराज की आत्महत्या की सही वजह तलाशना और असल गुनहगारों को सलाखों के पीछे पहुंचाना आसान नहीं था, परंतु इंदौर पुलिस ने यह कर दिखाया। जो -जो लोग शक के दायरे में आ रहे थे, उनके कई – कई बार बयान लिए गए। भय्यू महाराज की खुदकुशी की वजह और गुनहगारों तक पहुंचने के लिए महाराज और आरोपियों के ही मोबाइल सबसे बड़े सबूत बने। मोबाइल का डाटा, मैसेज, कॉल चैटिंग को रिकवर कर 1- 1 कड़ियां जोड़ी गई तब कहीं जाकर असलियत सामने आई और भय्यू महाराज के सुसाइड में तीन चेहरे प्रमुख रूप से उभर कर सामने आए। यह थे पलक पुराणिक , जो भय्यू महाराज का बेड और बाथरूम तक शेयर कर रही थी। महाराज पर शादी के लिए दबाव बना रही थी। एक और चेहरा था सेवादार विनायक का। और तीसरा गुनहगार था शरद। अदालत ने तीनों को छह- छह वर्ष के कारावास की सजा दी है, जिसमें से लगभग आधा समय जेल में इन तीनों आरोपियों का बीत चुका है।

पलक, शरद और विनायक के बीच चैट और कॉलिंग से मिले सुराग

एएसपी चौबे ने महाराज से जुड़े हर शख्स घर के नौकर, माली, गाड़ी वाले, ड्राइवर, दुकानदार, दूध-सब्जी वालों से पूछताछ की। एक-एक आरोपी के 40 से ज्यादा बार बयान लिए। विनायक पर महाराज के विश्वास की बातों को जांचा। चूंकि सुसाइड नोट में भी उसके नाम का जिक्र होना भी महत्वपूर्ण पॉइंट था। इस पर उसकी भूमिका समझी।

बिना रेपर की दवाई को परखा

उसके द्वारा महाराज को दी जाने वाली बिना रेपर की दवाओं के बारे में मेडिकल एक्सपर्ट की राय ली। महाराज की दूसरी शादी के दौरान पलक की उनके दूसरे घर में उपस्थिति के टेक्निकल साक्ष्य और चैट के आधार पर उसकी भूमिका स्पष्ट की। बाद में विनायक और शरद से उसकी चैट व कॉलिंग से भूमिका स्पष्ट कर मजबूत साक्ष्य कोर्ट के समक्ष रखे।