भू-माफिया वाली छबि और घटती लोकप्रियता को बचाने के लिए पब्लिसिटी स्टंड, फितरती मंत्री मोहन यादव

विवादों से घिरी चर्चाओं में रहकर राजनीतिक कद और नंबर बढ़ाने की चाल

ब्रह्मास्त्र उज्जैन। उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में देश के फर्जी पिता जैसी टिप्पणी खुद चर्चा में बने रहने के लिए जानबूझकर की है। शहर में मंत्री यादव की इस पोस्ट को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। लोगों का मानना है कि सस्ती लोकप्रियता मोहन यादव की फितरत में है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब मोहन यादव विवादों में हैं। किसी न किसी ढंग से विवादास्पद बयानबाजी वह पहले भी कर चुके हैं। अपने आप को चर्चा में बनाए रखने के लिए और राजनीति में कद तथा नंबर बढ़ाने के लिए मोहन यादव ने कई बार विवादास्पद बयानबाजी की है। मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने वाले मोहन यादव मुख्यमंत्री की दौड़ में दिल्ली तक जा पहुंचते हैं! पिछले दिनों जब यह खबर उड़ी थी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सिंहासन डोल रहा है, तो यह बात भी चर्चा में आई थी कि मंत्री मोहन यादव ने तुरंत दिल्ली दौड़ लगा दी थी। हो सकता है बिल्ली के भाग से छींका ही टूट जाए! मोहन यादव का न तो किसी विचारधारा से कोई लेना देना है और न ही किसी संस्कृति से। दो विचारधाराओं को लड़वाकर सस्ती लोकप्रियता हासिल करना ही उनकी फितरत रही है। लोगों का कहना है कि मोहन यादव अपने काम और चरित्र के बल पर चुनाव नहीं जीतते हैं, बल्कि निर्दलीयों के जरिए विरोधी पार्टियों में फूट डलवा कर वे अपने मंसूबे पूरे करते आए हैं। वरना, उनकी लोकप्रियता ऐसी नहीं है कि वे चुनाव जीत सकें।

जो महात्मा की इज्जत नहीं कर सकता, वह उच्च शिक्षा मंत्री कैसे?

सवाल यह भी है कि पाठ्य पुस्तकों में पढ़ाए जाने वाले महात्मा गांधी जिन्हें लोग राष्ट्रपिता मानते हैं, जो व्यक्ति उनकी भी इज्जत नहीं कर सकता, उन्हें देश का फर्जी पिता बताता है ऐसा व्यक्ति उच्च शिक्षा मंत्री के लायक कैसे हो सकता है।

असभ्य मंत्री…

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान मंत्री मोहन यादव का एक वीडियो जमकर वायरल हुआ था, जिसमें वे अश्लील गालियां देते दिखाई और सुनाई दिए थे। इस बारे में लोगों का कहना है कि जो खुद ही असभ्य है , वह उच्च शिक्षा मंत्री जैसे पद पर कैसे हो सकता है ? और वह क्या शिक्षा का भला करेगा? घटिया पब्लिसिटी पाने के लिए मोहन यादव ने महात्मा गांधी और देश के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों का अपमान कर दिया।

बिल्डर लॉबी को फायदा पहुंचाने वाले मंत्री

डॉ. मोहन यादव को किसी से कोई मतलब होना प्रतीत नहीं होता। बिल्डर लाबी को समर्थन देने वाली छवि उनकी दिखाई देती है। उज्जैन ने मास्टर प्लान की बैठक में भी इस मामले को अच्छी तरह जाना है, जब मंत्री मोहन यादव ने सिंहस्थ के उपयोग में आने वाली भूमि को आवासीय करने का समर्थन किया था। मोहन यादव अक्सर विवादों में घिरे रहते हैं। जब वे उज्जैन विकास प्राधिकरण अध्यक्ष थे तब भी उनके घोटालों की चर्चा अखबारों की सुर्खियों में हुआ करती थी। ईओडब्ल्यू में तब उनके खिलाफ प्रकरण भी दर्ज हुआ था। भ्रष्टाचार और बिल्डर लॉबी को फायदा पहुंचाने जैसे कारनामे लोगों की जुबां पर रहे हैं।
मंत्री मोहन यादव ने माफी नहीं मांगी तो इंदौर में घुसने नहीं देंगे

कांग्रेस ने चेतावनी भरे शहर भर में लगाए पोस्टर

इंदौर। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव की अमर्यादित टिप्पणी, जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा देश के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों के अपमान के मामले में इंदौर शहर कांग्रेस ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि मंत्री मोहन यादव ने माफी नहीं मांगी तो उन्हें इंदौर में घुसने नहीं देंगे। कांग्रेस ने इंदौर में यूनिवर्सिटी सहित जगह-जगह यह पोस्टर भी लगाए हैं। शहर कांग्रेस प्रवक्ता विवेक खंडेलवाल का कहना है कि मंत्री अनर्गल बयानबाजी करके सिर्फ टीवी और अखबारों में अपनी टीआरपी बढ़ा रहे हैं। वे छपास के रोगी हैं। उच्च शिक्षा मंत्री इस तरह की अमर्यादित बयानबाजी करके आखिर बच्चों को क्या सीख देना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि यदि मंत्री मोहन यादव ने माफी नहीं मांगी तो उन्हें इंदौर में घुसने नहीं दिया जाएगा।