कानून की नई किताब के पन्ने पलट रही पुलिस, 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता में दर्ज होंगे प्रकरण

उज्जैन। इन दिनों पुलिस कानून की नई किताब के पन्ने पलटते दिखाई दे रही है। वजह 1 जुलाई से हो रहे कानून की धाराओं में बदलाव है। केंद्र सरकार ने 3 नए आपराधिक कानून में बदलाव का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। जो भारतीय न्याय संहिता के रूप में होंगे।
देश में अब तक ब्रिटिश काल में बनाए गए कानून की धाराओं का उपयोग किया जा रहा था। जिसे केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष बदलने का निर्णय लिया था और तीन नए कानून को लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था। 1 जुलाई से नए कानून भारतीय न्याय संहिता के रूप में पुलिस अपराध पंजीबद्ध करेगी। जिसको लेकर कुछ माह पहले पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। पिछले कई दिनों से पुलिस भारतीय न्याय संहिता की नई किताबों के पन्ने पलटने में लगी हुई है। नए कानून में अब हत्या की धारा 302 नहीं होगी। हत्या के मामले में धारा 103 में केस दर्ज किया जाएगा। धोखाधड़ी की धारा 420 तीन दिन बाद धारा 316 कहलाएगी। अब तक दर्ज होने वाले अपराधों में पुलिस द्वारा लिखे जाने वाले शब्दों में भी बदलाव दिखाई देगा। नए कानून में महिला संबंधित अपराध के लिए सबसे खास बात यह रहेगी की अब महिला देश में कहीं भी अपने साथ हुई घटना की रिपोर्ट दर्ज कर सकेगी।

भारतीय न्याय संहिता में होगी 358 धारा
अब तक आईपीसी कानून में 511 धाराएं शामिल थी भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं शामिल की गई है। नए कानून में 21 नए अपराधों को शामिल किया गया है। पुराने कानून के तहत सीआरपीसी की 484 धाराएं थी जिन्हें भारतीय न्याय संहिता में 531 किया गया है। सीआरपीसी की 177 धाराओं में बदलाव किया गया है और 9 नई धाराएं जोड़ी गई है। 14 धाराओं को समाप्त कर दिया गया है।

150 में पहचानी जाएगी राजद्रोह की धारा
भारतीय दंड संहिता 1860 का स्थान लेने जा रही भारतीय न्याय संहिता में राजद्रोह की धारा को खत्म किया गया है, लेकिन देश की एकता अखंडता और संप्रभुता को खतरा पहुंचाने,अलगाववाद और विद्रोह की कोशिश को राष्ट्रद्रोह के अंतर्गत परिभाषित किया गया है. देश को नुकसान पहुंचाने के लिए विस्फोटक पदार्थ और जहरीली वस्तुओं का उपयोग करने पर आतंकवाद की धाराओं में मुकदमा चलेगा. सजा और कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए विदेश भागने वालों पर मुकदमा चल सकेगा. अगर पुलिस विदेश में बैठे अपराधी को तय समय में नहीं पकड पाएगी,तो भी कोर्ट में प्रकरण पेश किया जा सकेगा. राजद्रोह के मामले में आईपीसी की धारा 124 -ए नए कानून के तहत धारा 150 के रूप में पहचानी जाएगी. भारत सरकार के खिलाफ उकसाने और युद्ध छेड़ने जैसे प्रयास पर आईपीसी की धारा 121 के तहत प्रावधान था लेकिन अब ये धारा 146 कहलाएगी.