पीड़ित महिलाओं की पहचान के समाचार बिना न्यायालय की अनुमति के प्रकाशित न करे-न्यायाधीश कंचन चौकसे

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सुसनेर। पुलिस एवं न्याय विभाग द्वारा देश मे सोमवार 1 जुलाई से लागू नए कानूनों के बारे में आम लोगो को जानकारी देने के लिए स्थानीय जनपद पंचायत सभागृह में कार्यक्रम आयोजित कर जानकारी दी। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद न्यायाधीश श्रीमती कंचन चौकसे ने सम्बोधित करते हुए कहा कि अब नए कानून के तहत किसी भी महिला जो गैंगरेप की पीड़ित हो या पति पत्नी के झगड़े की पीड़ित हो उनकी पहचान समाचार के माध्यम से उजागर नही की जा सकती है। चाहे पॉक्सो एक्ट के तहत मामला हो बिना न्यायालय के आदेश के विक्टिम की गोपनीयता भंग नही करे। वही डॉक्टर की लापहरवाही से मौत पर भी दो वर्ष की सजा का प्रावधान है।
उन्होंने आगे जानकारी देकर बताया कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम तीन नए आपराधिक कानून, 1 जुलाई, 2024 (सोमवार) से लागू हो जाएंगे। भारतीय न्याय संहिता कानून अब आईपीसी (इंडियन पीनल कोड) की जगह लेगा। ये तोनों बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किए गए थे। नए कानून में धारा 375 और 376 की जगह बलात्कार की धारा 63 होगी। सामूहिक बलात्कार की धारा 70 होगी, हत्या के लिए धारा 302 की जगह धारा 101 होगी। भारतीय न्याय संहिता में 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है, जिसमें एक नया अपराध मॉब लिंचिंग है। इसमें मॉब लिंचिंग पर भी कानून बनाया गया है. 41 अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है. साथ ही 82 अपराधों में जुमार्ना बढ़ाया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक निशा रेड्डी ने करते हुए अपने सम्बोधन में जानकारी देते हुए बताया कि नए कानून के मुताबिक, आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला आएगा। पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करना होगा। बलात्कार पीड़िताओं के बयान महिला पुलिस अधिकारी की ओर से पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज किए जाएंगे। मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में मौजूद एसडीओपी देवनारायण यादव ने कहा कि कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है। इसमें बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। नए कानून में अब उन मामलों के लिए सजा का प्रावधान शामिल है, जिसके तहत महिलाओं को शादी का झूठा वादा करके या गुमराह करके छोड़ दिया जाता है। इसके अलावा नए कानून में महिलाओं के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामलों पर नियमित अपडेट प्राप्त करने का अधिकार होगा। सभी अस्पतालों को महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में मुफ्त इलाज करना जरूरी होगा। आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की कॉपी प्राप्त करने का अधिकार है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए थाना प्रभारी गगन बादल ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट की जा सकेगी, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत समाप्त हो सकेगी। साथ ही व्यक्ति एफआईआर को अपने अधिकार क्षेत्र वाले थाने के बजाए भी दर्ज करा सकता है। अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य होगा। लिंग की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल होंगे, जो समानता को बढ़ावा देता है। महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए जब भी संभव हो, पीड़ित के बयान महिला मजिस्ट्रेट की ओर से ही दर्ज किए जाने का प्रावधान है।

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