एक साल पीछे चल रहा सरकारी स्कूल के बच्चों का यूनिफार्म वितरण, 22-23 के सत्र की 23-24 में मिली ड्रेस…..

24-25 के लिए खातों में राशि डाली लेकिन आधे को मिली आधे को नहीं

ज्जैन। सरकार ने सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को  भले ही स्कूल यूनिफार्म निशुल्क देने का प्रावधान कर रखा हो लेकिन बावजूद इसके  बच्चे  रंग बिरंगी ड्रेस पहनकर ही स्कूल जा रहे है बच्चे स्कूलों में रंग बिरंगे कपड़े पहनकर ही जाते हुए नजर आ सकते है।

 इसके पीछे कारण यह है कि यूनिफार्म के लिए संबंधित विद्यार्थियों के बैंक खातों में राशि जमा की गई है लेकिन यह राशि आधे बच्चों को मिली और आधे को नहीं मिल सकी। लिहाजा अधिकांश बच्चे निर्धारित यूनिफार्म के ही रंग बिरंगे कपड़ों में स्कूल पहुंच रहे है। वैसे भी उज्जैन जिले में यूनिफार्म वितरण का काम एक साल पीछे ही चल रहा है। क्योंकि वर्ष वर्ष 2022-23 के सत्र की यूनिफार्म 23-24 के सत्र में मिली और अब इस नवीन सत्र के लिए राशि विद्यार्थियों के खाते में डालने का दावा किया जा रहा है बावजूद स्थिति अधिकांश विद्यार्थियों को राशि नहीं मिल सकी है।
सरकारी स्कूल ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद बीते 18 जून से खुल गए हैं। स्कूल खुलने के साथ ही विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म और किताबों का वितरण होना था, लेकिन उज्जैन  समेत  प्रदेश भर के 66 लाख विद्यार्थियों को यूनिफार्म या उसकी राशि नहीं मिल पाई है। इस कारण विद्यार्थी स्कूल ड्रेस की जगह रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर स्कूल जाने को मजबूर हो रहे हैं।  दरअसल  सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को निशुल्क दो जोड़ी ड्रेस दी जाती है। पिछले सालों में ड्रेस की राशि विद्यार्थियों के खातों में डाली जाती थी, जिससे विद्यार्थियों के अभिभावक राशि लेकर अपनी मर्जी से कहीं से भी ड्रेस सिलवा सकते थे।   पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद इसका काम पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्व सहायता समूह को दिया गया। जिससे हजारों महिलाओं को रोजगार मिल सके। लेकिन जब स्व-सहायता समूह के माध्यम से सिलकर स्कूलों में यूनिफार्म पहुंची, तो उनकी क्वालिटी बहुत ही घटिया थी। साथ ही बच्चों की नाप के अनुसार उन्हें ड्रेस नहीं मिल सकी। इसके बाद कोरोना के चलते स्कूल बंद रहे। कोरोना की पाबंदी हटने के बाद आजीविका मिशन के माध्यम से स्कूलों में दो साल पहले ड्रेस नहीं पहुंच सकी।
दो साल पहले की यूनिफार्म को कई स्कूलों में पिछले साल वितरण शुरू किया, लेकिन वह भी सभी स्कूलों में नहीं पहुंच सकी। इसके राज्य शिक्षा केंद्र ने कुछ जिलों में ड्रेस की राशि विद्यार्थियों के खातों में डालने व कुछ को ड्रेस वितरित करने के दिशा-निर्देश जारी किए। लेकिन सत्र 2023-24 की ड्रेस वितरण का कार्यक्रम सत्र समाप्ति के बाद भी नहीं हो पाया है। जबकि अब स्कूलों का नवीन शैक्षणिक सत्र 2024- 25 पहली अप्रैल से शुरू हो चुका है। गौरतलब है कि राज्य शिक्षा केंद्र ने साल 2020 में यूनिफार्म सिलाई का काम ग्रामीण एवं पंचायत विभाग के माध्यम से स्वंय सेवी संस्थाओं को दिया गया था। नतीजा यह रहा कि सत्र बीतने के बाद मार्च 2021 में में स्कूलों में यूनिफार्म पहुंच सकी थी। कोरोना के कारण स्कूल बंद होने के कारण शिक्षकों को घर- -घर जाकर यूनिफार्म पहुंचाना पड़ी। बच्चों का सही नाप न होने के कारण साइज भी छोटा पड़ गया था। वही सिलाई थी ठीक नहीं थी। इसके बाद 2021 में कोरोना के कारण स्कूल बंद थे, 2022 की यूनिफार्म 2023 में पहुंचाना शुरू की। लेकिन वर्ष 2024 के जून माह तक भी कई बच्चों को ड्रेस नहीं मिली है। वहीं इस साल सत्र 2024-25 में ड्रेस लेकर फिलहाल कोई दिशा-निर्देश नहीं है।
इनका कहना है
बैंक खातों में राशि पहंचाने का काम शुरू हो गया है। हो सकता है कि खाते अपडेट नहीं हो और इस कारण राशि नहीं पहुंच सकी। इसलिए विद्यार्थी रंग बिरंगे कपड़े पहनकर स्कूल जा रहे हांेगे।
अशोक त्रिपाठी, डीपीसी, सर्व शिक्षा अभियान

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