गणाचार्य की समाधि से हम सब संतप्त हैं
गणाचार्य की समाधि से हम सब संतप्त हैं
सुबह जब लोगों को यह समाचार मिला कि वात्सल्य मूर्ति, आचार्यों के आचार्य गणाचार्य विराग सागर जी महाराज की रात्रि के प्रहर में महाराष्ट्र के जालना में सल्लेखना पूर्वक समाधि हो गई तो यह समाचार हम सबको संतप्त कर गया। यह हमारा दुर्भाग्य है कि 6 माह पूर्व श्रमण संस्कृति के महामहिम आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज समाधिस्थ हुए थे इस दुख से हम सब ऊबर ही नहीं
पाए थे कि कल श्रमण संस्कृति के महान आचार्यों
मे से एक और आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज
भी समाधिस्थ हो गए। इन दोनों महान आचार्यों का श्रमण संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण अवदान रहा है।
लगभग 400 से अधिक मुनि एवं आर्यिकाओं को जैनेश्वरी दीक्षा देकर श्रमण संस्कृति को गोरवांवित करने वाले आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज
एक उत्कृष्ट क्षयोपशम धारी
और वात्सल्य से भरपूर राष्ट्र संत थे।
लगभग 10 वर्ष पूर्व आचार्य श्री ने इंदौर के दलाल बाग छत्रपति नगर में लगभग 70 पिच्छियों के साथ चातुर्मास किया था जिसकी स्मृतियां हम सबके हृदय एवं मस्तिष्क पटल पर आज चंदन गंध की तरह अंकित है। इस दुखद प्रसंग पर आदिनाथ दिगंबर जैन धार्मिक पारमार्थीक ट्रस्ट एवं दिगंबर जैन समाज
छत्रपति नगर, अग्रसेन नगर, गौरव नगर एवं महावीर बाग दिगंबर जैन समाज की ओर से हार्दिक विनयांजलि और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।