अभी तक अपने खर्चों का हिसाब-किताब तक नहीं दिया
अब भाजपा का पूरा फोकस संगठनात्मक गतिविधियों और संगठन को मजबूत करने पर
उज्जैन। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद अब भाजपा का पूरा फोकस संगठनात्मक गतिविधियों और संगठन को मजबूत करने पर है। लेकिन इस दौरान पार्टी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि उज्जैन जिले सहित अन्य कई जिलों के पदाधिकारियों ने अभी तक अपने खर्चों का हिसाब-किताब तक नहीं दिया है। इसके लिए भाजपा संगठन ने उन सभी जिला अध्यक्षों को ताकीद कर जल्द से जल्द ऑडिट रिपोर्ट और चुनावी खर्च का ब्यौरा देने के लिए निर्देशित किया है, जिन्होंने संगठन को अब तक अपनी रिपोर्ट नहीं दी है।
मिली जानकारी के अनुसार भाजपा के प्रदेश के 58 संगठनात्मक जिलों में से 30 जिलों ने अब तक अपनी ऑडिट रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय को नहीं भेजी है। इसके अलावा लोकसभा चुनाव में 41 जिलों ने खर्च का हिसाब-किताब नहीं दिया है। कुछ जिले अब भी ऐसे हैं, जहां से विधानसभा के चुनाव खर्च का अब तक पूरा हिसाब नहीं आया है। प्रदेश संगठन ने इन जिलों से जल्द से जल्द हिसाब भेजने को कहा है। लोकसभा चुनाव का परिणाम आए एक माह से अधिक का समय हो चुका है। लेकिन प्रदेश के 41 जिलों से पार्टी कार्यालय को अभी तक चुनावी खर्च का ब्यौरा नहीं मिल सका है। इसी प्रकार प्रतिवर्ष जिलों में पार्टी के खर्च का हिसाब-किताब रखने के बाद ऑडिट रिपोर्ट तैयार की जाती है, लेकिन जुलाई माह के 10 दिन के बाद भी करीब 30 संगठनात्मक जिलों ने ऑडिट रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय को नहीं भेजी है। इसी को लेकर प्रदेश कार्यालय से इन सभी जिलों को रिमांडर भेजा गया है कि एक सप्ताह के अंदर यह सभी जिले अपनी रिपोर्ट भेज दें।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा प्रत्येक प्रत्याशी को करीब 95 लाख तक खर्च करने की सीमा तय की गई थी। इसके बाद कई प्रत्याशियों ने आयोग को अपना चुनाव खर्च का ब्यौरा तो भेज दिया था, लेकिन पार्टी द्वारा प्रत्येक जिले में जो खर्च किया गया है , उसको लेकर जिला कमेटियों ने कोई हिसाब-किताब अभी तक नहीं दिया है। इसी को लेकर पार्टी ने ऐसे जिला अध्यक्षों को रिमांडर भेजा है कि वह अपनी ऑडिट रिपोर्ट और लोकसभा चुनाव में किया गया खर्च का हिसाब-किताब पार्टी कार्यालय को जल्द से जल्द भेजें। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी जिला अध्यक्षों से जल्द से जल्द हिसाब भेजने का कह रही है, पर अधिकांश जिले संगठन की बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही वजह है कि भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में भी यह मुद्दा उठा था। पार्टी के कार्यालय प्रभारी और प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी ने मंच से ही सभी जिलाध्यक्षों को जल्द से जल्द खर्च का हिसाब देने को कहा था।