अमरवाड़ा के चुनाव नतीजों ने जीतू पटवारी और कमलनाथ को दिया तगड़ा झटका
कांग्रेस को मध्यप्रदेश में जिंदा होने के लिए बनानी होगी तगड़ी प्लानिंग
इंदौर। अमरवाड़ा उपचुनाव के कारण परेशानी में आए जीतू पटवारी के समक्ष अब विजयपुर की चुनौती है। यहां कैबिनेट मिनिस्टर रामनिवास रावत भाजपा की ओर से चुनाव लड़ने वाले हैं। जाहिर है उनको हराने की चुनौती एक बार फिर पीसीसी चीफ के समक्ष आ गई है। कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए रामनिवास रावत भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए हैं। लेकिन उन्हें आगे कैबिनेट मंत्री बने रहने के लिए चुनाव जीतना जरूरी है।
हालांकि जानकारी के मुताबिक रावत चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर क्षेत्र के मतदाताओं से लगातार संपर्क में बने हुए हैं। वहीं, कांग्रेस ने भी यहां जीत के लिए प्रत्याशी चयन और बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने श्योपुर जिले के विजयपुर में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर आगे की रणनीति तैयार की है। जीतू पटवारी ने विजयपुर विधानसभा के वरिष्ठ नेताओं, ब्लॉक अध्यक्षों, मंडलम सेक्टर के अध्यक्ष जिला प्रभारी और कांग्रेसजनों के साथ बैठक कर विजयपुर विधानसभा उपचुनाव की रणनीति पर चर्चा की।
अमरवाड़ा के हार का ठीकरा प्रशासन के सर मढ़ा —
जीतू पटवारी ने अमरवाड़ा चुनाव के हार का ठीकरा शासन और प्रशासन पर फोड़ा है। उन्होंने कहा कि अमरवाड़ा में भाजपा चुनाव नहीं जीती, शासन, प्रशासन और पैसे के दुरूपयोग से चुनाव जीता गया है।
गौड़वाना गणतंत्र पार्टी को जो वोट मिले हैं वह भाजपा द्वारा खड़ा किया गया प्रत्याशी था। इससे हम कुछ वोटों से चुनाव हार गये। अमरवाड़ा में जिस तरह ये भाजपा और सरकार द्वारा प्रबंधन मैनेजमेंट कर कांग्रेस की जीत को हार में बदला गया सबने देखा है।
सालों से कांग्रेस के पास रही है विजयपुर सीट —
श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट पिछले कई सालों से कांग्रेस के पास रही है। ऐसे में कांग्रेस इस सीट को बचाए रखने की जुगत में जुट गई है और यहां रामनिवास रावत के मुकाबले मजबूत प्रत्याशी की तलाश करने के साथ क्षेत्र में रावत के विरुद्ध माहौल बनाने की ताकत लगाने की तैयारी में है। रविवार को विजयपुर में कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में पटवारी पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और विधायक पंकज उपाध्याय की मौजूदगी में शामिल हुए और पार्टी की रणनीति की चर्चा की। पटवारी ने इस बैठक में पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं रावत की बगावत के उनकी कमजोरियों को जनता के बीच ले जाने को कहा।
अमरवाड़ा उपचुनाव की हार के साथ ही प्रदेश कांग्रेस से कमलनाथ का वर्चस्व लगभग समाप्त हो गया है। कमलनाथ अभी छिंदवाड़ा से विधायक हैं, लेकिन माना जा रहा है कि अब वो कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे। जबकि उनके पुत्र नकुलनाथ का टेंपरामेंट ऐसा नहीं है कि वो लगातार प्रदेश में सक्रिय हो सकें।
जाहिर है कमलनाथ के समर्थक का नया ठिकाना ढूंढ रहे हैं। कांग्रेस के बड़े नेताओं में सज्जन सिंह वर्मा की कोशिश है कि जीतू पटवारी के साथ तालमेल बनाकर रखा जाए। अजय सिंह और अरुण यादव दिग्विजय सिंह के साथ मिलकर राजनीति कर रहे हैं। कमलनाथ समर्थक अन्य नेता भी नई राजनीतिक स्थिति में खुद को ढालने का प्रयत्न कर रहे हैं।