पीडब्ल्यूडी में पद तो कार्यपालन यंत्री का पर काम अधीक्षण यंत्री वाला

 

 

सरकार के निर्देश पर भी नहीं बदली आज तक व्यवस्था

 

इंदौर। सरकारी नियम है कि 3 वर्ष से अधिक एक ही स्थान पर नहीं रह सकते। लोक निर्माण विभाग में ऐसा नहीं है। यहां कई इंजीनियर ऐसे हैं जिनका पद कुछ और तो काम कुछ और ही कर रहे हैं। वर्षों से यह काम चल रहा है जहां कोई 14 तो कोई 15 वर्ष से एक ही जगह पदस्थ है।
सूत्रों के मुताबिक नगर निगम, विकास प्राधिकरण हो या फिर अन्य सरकारी विभाग सभी में पद कुछ और तो काम कुछ और कर रहे हैं। इस तरह का काम एक 2 वर्ष नहीं कई वर्षों से काम देख रहे हैं और सभी सरकारी सुविधाएं भी प्राप्त है।
इसके बावजूद कभी जांच के नाम पर आंच नहीं आई है और जब वरिष्ठ अफसरों से चर्चा की जाती है तो उनका कहना है कि हम मजबूर हैं, हमारे पास अधिकारियों की कमी है। नगर निगम की हालत तो और भी खराब है कि जो इंजीनियर है वह स्वास्थ्य अधिकारी का काम देख रहे हैं।
कुमार शर्मा बीते 14 वर्षों से यहीं पर है। अभयराज दुबे 12 वर्षों से यहीं पर पदस्थ है, मुस्तफा हाशमी 10 वर्ष से एक ही जगह पदस्थ है। दिलीप सिंह सोलंकी 15 वर्षों से एक ही जगह पदस्थ है। सभी उपयंत्री हैं यानी सब इंजीनियर है। इतना सब कुछ होते हुए अभयराज दुबे एसडीओ यानी सब डिविजनल ऑफिसर का काम देख रहे हैं।
मनोज सक्सेना वास्तव में एसडीओ की पोस्ट पर है लेकिन प्रभारी कार्यपालन यंत्री का काम वर्षों से कर रहे हैं। आर के जोशी जिनका पद कार्यपालन यंत्री का है लेकिन अधीक्षण यंत्री का ही काम देख रहे हैं और उसी अनुसार इन्हें सरकारी सुविधाएं प्राप्त है। यह तो मुख्यालय उप संभाग क्रमांक 1 की है स्थिति है। ऐसी स्थिति अन्य जगह भी है। कई वर्षों से एक ही जगह पदस्थ होने के बावजूद इन पर कभी आंच नहीं आई है।
पीडब्ल्यूडी विभाग के मुख्य अभियंता ने बताया कि हमारी मजबूरी है। हम क्या कर सकते हैं? शासन की ओर से भी कोई मदद नहीं मिल रही है। अब जो
पीडब्ल्यूडी विभाग में अरविंद है उन्ही से हम लोग काम ले रहे हैं।