सिंहस्थ: 2028….योजनाओं का खाका तैयार करने में जुटे अधिकारी, उज्जैन में 18840 करोड़ के 523 काम प्रस्तावित….18 हजार करोड़ का प्रावधान करने की मांग
उज्जैन। आगामी सिंहस्थ 2028 की तैयारियों में न केवल सूबे की डॉ. मोहन यादव सरकार बल्कि उज्जैन जिला प्रशासन के अधिकारी भी जुटे हुए है। सीएम के निर्देश पर आला अफसर योजनाओं का खाका तैयार करने में जुटे हुए है वहीं बीते सिंहस्थ के मुकाबले इस बार के सिंहस्थ में चार गुना से अधिक खर्च किया जाएगा और इसके लिए सरकार ने केंद्रीय बजट में सिंहस्थ के लिए 18 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान करने की मांग की है। बता दें कि बीते सिंहस्थ 2016 में तत्कालीन सरकार ने 4500 करोड़ खर्च किए थे।
महाकाल मंदिर तक रोप-वे संचालन
2028 में लगने वाले महाकुंभ में 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। आगंतुकों के लिए बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने, शिप्रा शुद्धीकरण, सडक़ों को ट्रैफिक जाम से मुक्त रखने और पर्यावरण सुधार को ध्यान में रख तैयार की गई है। सीएम मोहन यादव स्वयं इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। प्रस्तावित कार्य योजना में मुख्य रूप से उज्जैन को जोड़ने वाले शेष छह मुख्य मार्गों सहित महाकाल सवारी मार्ग को चौड़ा करने, शिप्रा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट करने, रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक रोप-वे संचालन, 116 इलेक्ट्रिक बसें संचालित करने, महामृत्युंजय द्वार से त्रिवेणी संग्रहालय फोरलेन एलिवेटेड कॉरिडोर, छह नए पुल, दो फुट ओवर ब्रिज बनाने, हरिफाटक पुल की चारों भुजाओं को चौड़ा करने, देवास रोड पर कार्गो एयरपोर्ट बनाने, पंचकोशी यात्रा मार्ग के सात पड़ाव स्थलों पर बुनियादी कार्य कराने, देवास रोड फोरलेन सड़क परियोजना से छूटे हिस्से (नागझिरी से दताना तक) को 38 करोड़ 52 लाख रुपये से फोरलेन में तब्दील करने, कचरा प्रबंधन और शिप्रा नदी के जल की शुद्धि करने सहित सैकड़ों अन्य प्रस्ताव भी शामिल है।
2028 में लगने वाले महाकुंभ में 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। आगंतुकों के लिए बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने, शिप्रा शुद्धीकरण, सडक़ों को ट्रैफिक जाम से मुक्त रखने और पर्यावरण सुधार को ध्यान में रख तैयार की गई है। सीएम मोहन यादव स्वयं इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। प्रस्तावित कार्य योजना में मुख्य रूप से उज्जैन को जोड़ने वाले शेष छह मुख्य मार्गों सहित महाकाल सवारी मार्ग को चौड़ा करने, शिप्रा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट करने, रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक रोप-वे संचालन, 116 इलेक्ट्रिक बसें संचालित करने, महामृत्युंजय द्वार से त्रिवेणी संग्रहालय फोरलेन एलिवेटेड कॉरिडोर, छह नए पुल, दो फुट ओवर ब्रिज बनाने, हरिफाटक पुल की चारों भुजाओं को चौड़ा करने, देवास रोड पर कार्गो एयरपोर्ट बनाने, पंचकोशी यात्रा मार्ग के सात पड़ाव स्थलों पर बुनियादी कार्य कराने, देवास रोड फोरलेन सड़क परियोजना से छूटे हिस्से (नागझिरी से दताना तक) को 38 करोड़ 52 लाख रुपये से फोरलेन में तब्दील करने, कचरा प्रबंधन और शिप्रा नदी के जल की शुद्धि करने सहित सैकड़ों अन्य प्रस्ताव भी शामिल है।
भूमिपूजन प्रधानमंत्री से कराने की तैयारी
केन-बेतवा लिंक परियोजना के माध्यम से विश्व का पहला नदी जोड़ो अभियान मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की धरती से शुरू होगा। इसके लिए 12,000 करोड़ और 5,000 करोड़ के अलग-अलग टेंडर जारी किए गए है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बजट में केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए भी राशि का प्रावधान किए जाने की मांग की गई है। कुल 44 हजार 605 करोड़ रुपए की इस परियोजना में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत राशि देगी। मप्र और उप्र सरकारों को कुल लागत की पांच-पांच प्रतिशत राशि देना होगी। मप्र सरकार जल्द ही केन-बेतवा लिंक परियोजना का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कराने की तैयारी कर रही है।
अधोसंरचना पर अधिक फोकस किया जा रहा
2016 के सिंहस्थ में आठ करोड़ लोग सम्मिलित हुए थे। इनके लिए बुनियादी सुविधाएं जुटाने पर तब सरकार ने 4500 करोड़ रुपये खर्च किए थे। तब 11 नए पुल बनाए गए थे और 100 से अधिक सड़कों को चौड़ा किया था। हालांकि, उस दौरान नहाने के क्षेत्र से सेटेलाइट टाउन दूर बनाना, कुछ पुलों का अधूरा निर्माण जैसी कमियां रह गई थीं। इस बार सिंहस्थ का विस्तार होना है। इसलिए अधोसंरचना पर अधिक फोकस किया जा रहा है। इस बार रुद्रसागर के सामने तकिया मस्जिद से सटी 2.135 हेक्टेयर जमीन पर 2000 वाहन पार्क कराने को मल्टीलेवल पार्किंग बनाई जाएगी। इसके लिए जमीन पर बने 253 मकानों का अधिग्रहण करने को पिछले वर्ष धारा 11 लागू कर धारा 21 का प्रकाशन हो चुका है। इस प्रोजेक्ट पर 150 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। प्रशासन ने देवास गेट बस स्टैंड को मल्टीलेवल ट्रांजिट हब के रूप में नवीनीकरण करने, नानाखेड़ा बस स्टैंड का पुनर्विकास करने, बसों के संचालन के लिए सड़कों को चौड़ा करना प्रस्तावित किया है। प्रशासन ने उज्जैन शहर के सात मुख्य मार्गों पर 100 इलेक्ट्रिक बसें चलाने और उज्जैन से पड़ोसी शहर इंदौर, देवास, भोपाल, ओंकारेश्वर, मंदसौर, नलखेड़ा, बड़नगर, शाजापुर, रतलाम तक 16 इलेक्ट्रिक बसें चलाना प्रस्तावित किया है। नानाखेड़ा बस स्टैंड के समीप और मक्सी रोड स्थित सिटी बस डीपो सहित 10 विभिन्न स्थानों पर इलेक्ट्रिक बसों एवं अन्य वाहनों को चार्ज करने के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाना भी प्रस्तावित किया है। शहर में 250 ई-रिक्शा चलाने, दताना हवाई पट्टी के विकास, इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो रेल संचालन करने, कोर सिटी क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व को कम करने, उज्जैन विकास प्राधिकरण एवं हाउसिंग बोर्ड द्वारा नई टाउनशिप का विकास करने की भी योजना है।