पौधारोपण का बना कीर्तिमान लेकिन— इंदौर मेट्रो के लिए ट्रांसप्लांट किए जा रहे हजारों पेड़, पर तरीका सही नहीं
इंदौर। जिले में वर्षाकाल में 51 लाख पौधे लगाए जाएंगे। इसी कड़ी में गत दिनों एक दिन में 11 लाख पौधे लगाने का कीर्तिमान भी बनाया जा चुका है। दूसरी तरफ शहर में विकास कार्यों के लिए पेड़ों की कटाई और ट्रांसप्लांट का काम जारी है।
गत वर्ष शहर के प्रमुख चौराहों पर फ्लाईओवर निर्माण के लिए हजारों पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया था। दावा था कि सभी पेड़ जीवित रहेंगे, लेकिन अधिकांश पेड़ सूख चुके हैं। अब मेट्रों के लिए फिर से पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जाएगा।रोबोट चौराहे पर दो दिन से पेड़ों की छंटनी की जा रही है।
ढाई हजार पेड़ों को किया गया था ट्रांसप्लांट
शहर में खजराना, भंवरकुआं, लवकुश और फूटी कोठी चौराहों पर बन रहे फ्लाईओवर के लिए गत वर्ष करीब ढाई हजार पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया था। यह पेड़ सुपर कारिडोर, अटल बिहारी वाणिज्य एवं कला महाविद्यालय परिसर आदि स्थानों पर ट्रांसप्लांट किए गए थे। इसके लिए इंदौर विकास प्राधिकरण ने एजेंसी की थी और पूरी प्रक्रिया अपनाकर पेड़ ट्रासप्लांट किए थे।
देखरेख के अभाव में सुपर कारिडोर और अटल बिहारी वाणिज्य एवं कला महाविद्यालय परिसर के अधिकांश पेड़ सूख चुके हैं। ट्रांसप्लांट के बाद ठेकेदार की जिम्मेदारी थी कि वह पेड़ों की देखरेख भी करेंगे, लेकिन उचित देखभाल नहीं होने से पेड़ सूख गए।
कई सूखे पेड़ उखाड़े गए
अटल बिहारी वाणिज्य एवं कला महाविद्यालय परिसर में ट्रांसप्लांट किए गए कई सूखे पेड़ों के तनों को उखाड़ दिया गया। ठेकेदार द्वारा ही यह कार्य किया गया। बावजूद अभी भी सूखे पड़े खड़े हैं। यह पेड़ भंवरकुआ चौराहे से ट्रांसप्लाट किए गए थे। यही हाल अन्य स्थानों पर है। धीरे-धीरे पेड़ों के तनों को हटाया जा रहा है।
रिटायर डिप्टी कंजरवेटर अशोक खराटे ने बताया कि, “इंदौर में ट्रांसप्लांट करने का तरीका चुनिंदा लोगों को ही पता है। बिना तकनीक के पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। ट्रांसप्लांट करने वालों को रूट सिस्टम तक की जानकारी नहीं है। इस वजह से पेड़ों को उचित ट्रीटमेंट नहीं दिया जा रहा है।