भारत की ज्ञान परम्परा पर पुन: अध्ययन व अनुसंधान की आवश्यकता-शिक्षा मंत्री परमार
शुजालपुर। गुरु शिष्य परम्परा विश्व की सर्वश्रेष्ठ परम्परा है। शिक्षक (गुरु) विषयविद होते हैं, जो विद्यार्थियों को न केवल विषय पर पारंगत बनाते हैं बल्कि गुरूत्व के भावानुरूप विद्यार्थियों को संस्कार, आचरण और व्यवहार से समृद्ध बनाकर उन्हें जीवन दृष्टि भी देते हैं। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने रविवार को शुजालपुर स्थित जेएनएस महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा उत्सव के शुभारंभ के अवसर पर कही। मंत्री परमार ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से पुरातन से सीखकर नूतन की ओर आगे बढ़ते हुए विश्वमंच पर भारत को सिरमौर बनाना हमारा ध्येय है। इसके लिए भारतीय ज्ञान परम्परा को शिक्षा में पुनर्स्थापित कर आमूलचूल परिवर्तन जारी है।
परमार ने कहा कि दुनिया को भारत के ज्ञान पर गर्व है, हमें भी अपने देश के ज्ञान पर गर्व होना चाहिए। जो देश अपने अपने ही ज्ञान को समाप्त कर देता हैए उस देश की पहचान भी स्वत: समाप्त हो जाती है। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि भारतीय समाज का दृष्टिकोण विज्ञान पर आधारित दृष्टिकोण है। भारत की ज्ञान परम्परा पर पुन: अध्ययन एवं अनुसंधान करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब भारतीय परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया तब से देश भर में भारत की उपलब्धियों और उल्लेखनीय कार्यों पर गर्व का भाव जागृत हुआ है।