पूर्व मुख्यमंत्रियों में दिग्विजय सिंह आज भी सबसे ज्यादा सक्रिय
कमलनाथ ने स्वयं अपने पैर किए पीछे, कांग्रेस के आखिर कब संघठन के प्रति बनेंगे नेता ईमानदार
इंदौर। प्रदेश कांग्रेस की राजनीति से कमलनाथ की राजनीति अब लगभग समाप्त होती जा रही है। जबकि दिग्विजय सिंह की सक्रियता पहले की तरह कायम है। लोकसभा चुनाव के पूर्व हुए दल बदल के कथित घटनाक्रम के बाद से कमलनाथ ने अपनी सक्रियता प्रदेश की राजनीति में काम कर दी है। छिंदवाड़ा लोकसभा के नतीजों से यह संकेत मिलने लगा था कि कमलनाथ क्रमशः राजनीति से विदा होते जा रहे हैं, लेकिन अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव की पराजय के बाद अभी लगभग निश्चित है कि कमलनाथ की राजनीतिक पारी का अंत नजदीक है।
कमलनाथ 81 वर्ष के हैं। दूसरी तरफ उनसे केवल 3 वर्ष छोटे दिग्विजय सिंह अभी पूरी क्षमता से राजनीति में सक्रिय हैं। हाल ही में दिग्विजय सिंह ने नर्सिंग कॉलेज घोटाले में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मुलाकात की। इसके अलावा उन्होंने भोपाल के एक पुलिस थाने में सुंदरकांड के मामले में भी मुखर विरोध किया।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक हो या दिल्ली की बैठक हो दिग्विजय सिंह उसमें बराबर शामिल होते हैं। इसके अलावा कार्यकर्ताओं और नेताओं के सुख-दुख में जाने का उनका सिलसिला भी जारी है।
जाहिर है जहां कमलनाथ अपनी सक्रियता कम कर रहे हैं वहीं दिग्विजय सिंह की सक्रियता बरकरार है। हाल ही में दिग्विजय सिंह ने एक महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा है कि अनुसूचित क्षेत्रों की ग्राम सभा में आरएसएस का घुसपैठ है। पेसा एक्ट की धारा 13 (3) क की ग्राम सभा के अधिकार भी अब आरएसएस के हाथ में हैं।
दिग्विजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभा में आरएसएस का इंफील्ट्रेशन (घुसपैठ) पेसा की धारा 13 (3) क की ग्रामसभा के अधिकार भी अब आरएसएस के हाथ में अगर इस तरह का आदेश कलेक्टर न माने तो उनके विरुद्ध क्या पैनल प्रोविजन है? आठ जुलाई 2021 की खबर है, खबर का फॉलोअप नहीं लिया गया, मेरी जानकारी के मुताबिक ग्राम सभा का गठन फिलहाल पेसा ग्राम मोबिलाइजर ही कर रहे हैं।
उन्होंने आगे लिखा कि पेसा मोबिलाइजर के ऊपर पेसा ब्लॉक कोऑर्डिनेटर है, जो आरएसएस विचारधारा वालों को ही चुन-चुन कर बनाया गया है। पेसा ब्लॉक कोऑर्डिनेटर के ऊपर डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेटर है।
उन्हें भी संघ से जुड़े लोगों को ही बनाया गया है। इनके ऊपर उपसचिव है, जिसने पेसा ब्लॉक कोऑर्डिनेटर, डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेटर बनाए। यानी अप्रत्यक्ष रूप से ग्रामसभा का गठन आरएसएस विचारधारा के गांव में रहने वाले युवकों से ही किया जा रहा है।
दिग्विजय सिंह ने कहा है कि जहां-जहां कांग्रेस या अन्य स्वतंत्र विचारधारा के लोकतांत्रिक प्रणाली से चुने हुए सरपंच हैं, वहां यह आरएसएस वाली ग्राम सभाओं को पावर डेलिगेट कर गांव में सत्ता के दो ध्रुव बना दिए गए हैं। प्रशासन को भी इस तरह के निर्देश हैं कि जहां कांग्रेस के सरपंच हैं, वहां इन आरएसएस वाली ग्राम सभा को सरकारी कार्य में तवज्जो दी जा रही है।
आरएसएस विचारधारा को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। उन्होंने कभी आरएसएस के इस षड्यंत्र पर एक शब्द भी नहीं बोला, किस तरह आरएसएस विचारधारा को ग्रामसभा के माध्यम से अमली जामा पहनाया जा रहा है।
जब भी शासन को आदिवासी अनुसची क्षेत्रों में कोई प्रोजेक्ट लाना होगा, तब इन्हीं फर्जी ग्रामसभा से अनुमति लेकर प्रोजेक्ट पूरे किए जाएंगे। टाइगर प्रोजेक्ट के नाम पर जो शेड्यूल एरिया की जमीन से सैकड़ों गांव विस्थापित हो रहे हैं, उसके विरुद्ध कितने ग्राम सभा ने निंदा प्रस्ताव पारित किए गए हैं?