भाजपा ने अपने मंत्री के पारिवारिक जीवन कुश्ती कराने की ठानी, भाजपा आरएसएस से आए नेताओ को कर रही दरकिनार
इंदौर। अलीराजपुर के विधायक और कैबिनेट मंत्री नागर सिंह चौहान के इस्तीफे की धमकी के पीछे दो तरह की कहानी सामने आ रही है। एक तो यह कि महत्वपूर्ण वन विभाग चीन से वह स्वाभाविक रूप से नाराज थे।
नागर सिंह चौहान विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से भाजपा की राजनीति में आए। भारतीय जनता युवा मोर्चा में काम करने के बाद उन्हें 2003 में विधानसभा चुनाव लड़ाया गया। इस चुनाव में वो जीते। इसके बाद पार्टी ने उन्हें लगातार विधानसभा का चुनाव लड़वाया।
चार बार उन्होंने जीत भी दर्ज की। 2023 में कैबिनेट मंत्री बनने के पूर्व नागर सिंह चौहान राज्य मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। जाहिर है उन्हें यह बात नागवार गुजरी कि उनके जैसे कार्यकर्ता की कीमत पर कांग्रेस से आए नेता को अधिक वजनदार विभाग दिया जा एकेडमिक प्रोफाइल देखने के बाद पार्टी नेतृत्व ने सोची समझी रणनीति के तहत अनीता चौहान को झाबुआ से उतारा।
अनीता चौहान ने कांतिलाल भूरिया जैसे दिग्गज को 2 लाख से अधिक मतों से झाबुआ सीट सेहराया। इतने अधिक मतों से पहले कभी भाजपा यहां नहीं जीती। 2014 में स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया और 2019 में गुमान सिंह डामोर की जीत एक लाख के भीतर थी। जाहिर है 40 वर्षीय अनीता चौहान का राजनीतिक भविष्य उज्जवल है। उन्होंने एलएलएम तक पढ़ाई की है और वो डॉक्टरेट कर रही है। मिलाला समाज की अनीता चौहान अपने पति नागर सिंह चौहान के मुकाबले कुशल और तेजस्वी राजनीतिज्ञ हैं। सूत्रों का कहना है कि भाजपा नागर सिंह की बजाय अनीता चौहान को प्रमोट करना चाहती है।
इसी दृष्टि से नागर सिंह का कद घटाया गया है। सूत्र तो यह भी कह रहे है कि नागर सिंह चौहान को कुछ दिन पूर्व खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बुलाकर इस्तीफा देने के लिए कहा था। कुछ सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से सावित्री ठाकुर हिंदी पढ़ने में भी असहज रहती हैं। उससे यह जाहिर है कि अगले मंत्रिमंडल विस्तार में सावित्री ठाकुर का पत्ता कट सकता है।
ऐसे में उनके स्थान पर अनीता चौहान को मोदी मंत्रिमंडल में लिया जा सकता है। इसी संभावना के चलते नागर सिंह चौहान को सत्ता से हटाकर संगठन के पद पर ले जाने की रणनीति पर काम हो रहा है, लेकिन नगर सिंह चौहान की नाराजगी ने मामला उलझा दिया है। जिस तरह से नगर सिंह चौहान ने मीडिया से चर्चा की, उससे आलाकमान नाराज है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि नागर सिंह चौहान ने पार्टी नेतृत्व की मंशा को भांपकर कर ही, अपनी पत्नी के भी इस्तीफे की बात की है ताकि । पार्टी पर पूर्ण दबाव आ आ सके। कुल मिलाकर इस घटनाक्रम से आदिवासी अंचल में भाजपा को बैंक फुट पर आना पड़ा है।
मध्य प्रदेश विधानसभा और लोकसभा में मिली हार के बाद कांग्रेस पार्टी अब बूथ स्तर पर हर के कारणों की जानकारी जुटा रही है। कल पीसीसी में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भोपाल संभाग के जिला अध्यक्षों, जिला प्रभारियों-सहप्रभारियों, ब्लाक अध्यक्षों एवं उपब्लाक अध्यक्षों के साथ जिलेवार संगठनात्मक बैठकें ली।
इस दौरान पार्टी में जमीनी स्तर पर व्याप्त गुटबाजी को भी हार की बड़ी वजह बताया गया। इतना ही नहीं चुनाव से पहले राज्य के अलग-अलग हिस्सों में हुए दल-बदल ने भी पार्टी को कमजोर करने का काम किया है।