नगर निगम में फिर बाहर आया ’नोटिस की जिन्न’

उज्जैन। नगर निगम के गलियारों में एक बार फिर महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को दिए गए नोटिस का जिन्न बाहर आ गया है। निगम के जिम्मेदारों का कहना है कि मंदिर प्रबंध समिति को करीब पांच माह पहले बकाया टैक्स जमा करने का नोटिस दिया गया था और इस कर को हम वसूल कर ही रहेंगे। हालांकि मंदिर के अधिकारियों का यह कहना है कि मंदिर कोई व्यावसायिक संस्था नहीं है जो किसी तरह का टैक्स जमा करे। जबकि निगम के जिम्मेदारों का तर्क है कि क्या मंदिर प्रबंध समिति सफाई या प्रकाश अथवा जल कर जमा नहीं करेगी।
एक करोड़ बकाया है टैक्स

नगर निगम के राजस्व समिति के प्रभारी रजत मेहता ने चर्चा में बताया कि महाकाल मंदिर पर करीब एक करोड़ से अधिक का टैक्स बकाया है। इसकी वसूली के लिए मंदिर प्रबंध समिति को नोटिसभेजा जा चुका है। मेहता का यह कहना है कि जिस भी जगह व्यावसायिक गतिविधियां होती है वहां से निगम द्वारा टैक्स लेने का प्रावधान है। चूंकि मंदिर में दुकानों को किराए पर देने, पार्किंग का ठेका देने और अन्य कई ऐसी गतिविधियां संचालित होती है जो व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल मानी जाती है। इसके अलावा  जलकर, प्रकाश कर और सफाई आदि के अन्य कर भी है जिसकी वसूली मंदिर प्रबंध समिति से होना है।
प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने की तैयारी 
दरअसल नगर निगम धार्मिक स्थलों की दुकानों से प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने की तैयारी कर रहा है ताकि निगम के खजाने को भरा जा सके। इसके चलते ही महाकाल मंदिर का मुद्दा भी एक बार सामने आया है। चूंकि पांच माह पहले निगम की तरफ से मंदिर प्रशासन को बकाया कर जमा करने के लिए नोटिस दिया जा चुका है इसलिए निगम के जिम्मेदार अब हर हाल में बकाया टैक्स वसूलने की तैयारी में है।
हम कोई व्यापारिक संस्था नहीं
चर्चा करते हुए महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचन्द जुनवाल का कहना है कि मंदिर कोई व्यापारिक संस्था नहीं है, जिस कारण नगर निगम की ओर से किसी तरह का कोई टैक्स वसूला जाए। हालांकि उनका यह भी कहना है कि नोटिस को लेकर प्रबंध समिति के सदस्यों से चर्चा हुई है और सदस्यों द्वारा ही निर्णय लिया जाएगा।

अलग से पैकेज बनाने की चर्चा

इधर महापौर मुकेश टटवाल का कहना है कि महाकाल मंदिर में व्यावसायिक गतिविधियां संचालित होती है और उन्हें इस बात की जानकारी मिली है कि सफाई, जलकर और प्रकाश कर बाकी है। महापौर टटवाल का कहना है कि मंदिर सहित परिसर के लिए अलग से पैकेज बनाने पर चर्चा चल रही है ताकि मंदिर या परिसर में संचालित होने वाली व्यावसायिक गतिविधियों को चिन्ह्ति कर टैक्स वसूला जा सके।

खजाने को हो रहे नुकसान से बचा जा सकेगा

उज्जैन में नगर निगम अब सभी धर्मस्थलों के बाहर या आसपास लगने वाली दुकानों से भी प्रॉपर्टी टैक्स लेगा। इससे निगम के खजाने को हो रहे नुकसान से बचा जा सकेगा। सिंहस्थ क्षेत्र में भी दुकानों और होटलों के संचालन से निगम को आर्थिक चपत लग रही। इसके लिए कलेक्टर को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है। शहर के कई धार्मिक स्थलों के आसपास व्यवसायिक दुकानों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन दुकानदार कमर्शियल टैक्स नहीं दे रहे। इससे निगम को हर साल लाखों रुपयों की आर्थिक चपत लग रही। निगम द्वारा ऐसी प्रॉपर्टियों का सर्वे भी कराया जा रहा है, जो टैक्स नहीं चुका रहे। नगर निगम में राजस्व समिति के प्रभारी रजत मेहता के अनुसार शहर के सभी धार्मिक स्थलों के बाहर या आसपास दुकानदार किराए से दुकान लेकर संचालित कर रहे लेकिन धार्मिक मामला होने के कारण इन प्रॉपर्टियों का टैक्स जमा नहीं किया जाता। इसके लिए अब निगम प्रशासन सख्ती से नोटिस जारी कर टैक्स वसूलने की कार्रवाई करेगा।