धार भोजशाला : सर्वे रिपोर्ट पर अब जुलाई बाद ही सुनवाई होगी
इंदौर। धार भोजशाला मामले में मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के पटल पर प्रस्तुत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट पर अब जुलाई बाद ही सुनवाई होगी। हाई कोर्ट ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
दो पेज के आदेश में कोर्ट ने कहा कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है और सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट कोई आदेश जारी नहीं करे। ऐसी स्थिति में जब तक सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित आवेदन निराकृत नहीं हो जाता और सुप्रीम कोर्ट हमें कोई दिशा-निर्देश नहीं देता तब तक सुनवाई नहीं कर सकते।
इंदौर खंडपीठ ने एएसआई को दिया था आदेश
मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 11 मार्च 2024 को एएसआई को आदेश दिया था कि वह भोजशाला परिसर का अत्याधुनिक तकनीकों से सर्वे करे और इसकी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करें। मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी ने सर्वे के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है।
इसमें सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल 2024 को दिए आदेश में सर्वे पर रोक तो नहीं लगाई लेकिन हाई कोर्ट से कहा था कि वह एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कोई आदेश जारी नहीं कर सकेंगे। 15 जुलाई 2024 को एएसआई ने हाई कोर्ट में दो हजार से ज्यादा पन्नों की सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। कोर्ट के आदेश पर इसकी प्रतियां संबंधित पक्षकारों को भी दी गईं। कोर्ट में बंद लिफाफे में प्रस्तुत इस रिपोर्ट को लेकर पक्षकारों का दावा है कि सर्वे में यह बात साफ हो गई है कि भोजशाला मंदिर ही है और इस भवन का निर्माण परमारकालीन है। सर्वे में मिले स्तंभ इसकी पुष्टि कर रहे हैं। सर्वे के दौरान एएसआई द्वारा की गई खोदाई में देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। इस रिपोर्ट के प्रस्तुत होने के बाद हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले हिंदू फ्रंट फाॅर जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन देकर 1 अप्रैल 2024 के आदेश को निरस्त करने की मांग की है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 30 जुलाई को होना है। इसके बाद ही हाई कोर्ट अपने यहां होने वाली सुनवाई की तारीख तय कर सकेगा।